गुरुवार, 31 अक्टूबर 2019

सरकार को पाक द्वारा लगाया गया जजिया : सुखबीर

अमृतसर। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रधान एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बदल ने कहा है कि पूर्व अकाली-भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मुख्यमंत्री तीर्थ योजना शुरू की थी। दो-ढाई सौ करोड़ से सरकार अपने खर्च पर संगत को गुरु घरों के दर्शन करवाती रही है। इसी तर्ज पर पंजाब की कांग्रेस सरकार को श्री गुरु नानक देव जी के 550वे प्रकाश पर्व पर पाकिस्तान जाने वाले श्रद्धालुओ का खर्च अदा करना चाहिए और पाक द्वारा लगाई गई 20 डॉलर की फ़ीस को देनी चाहिए सुखबीर बादल अपनी धर्मपत्नी एवं केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के साथ माथा टेकने श्री दरबार साहिब आये हुए थे।


550वे वार्षिक प्रकाश पर्व को लेकर आयोजित होने वाले समारोह में एसजीपीसी और पंजाब सरकार के बीच चल रहे विवाद पर सुखवीर ने टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है। उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि श्री अकाल तख्त से जो फैशला आया है या आएगा वही सबको मान्य होगा। श्री अकाल तख्त सिखों की सुप्रीम संस्था है और जत्थेदार साहिब द्वारा जो भी हुकुम दिया गया है,वह हम सभी के लिया मान्य है।


सुखबीर ने शिअद टकशाली के नेताओ द्वारा उन पर की गयी टिप्पणी पर कहा कि वह मेरे सीनियर लीडर हैं,मैं उन्हें सम्मान देता हूँ और उनके खिलाफ कुछ नहीं कहना चाहता। करतारपुर साहिब कॅारिडोर से क्या वह पाक जा रहे हैं,पर उन्होंने कहा की पाक जाने वाले पहले जत्थे में शामिल होने के लिए उन्होंने भी अप्लाई किया हुआ है।  


रूस को बगदादी की मौत पर संदेह

रूस ने आईएस प्रमुख बगदादी की मौत पर रविवार को संदेह जताया हैं। वर्ष 2014 से अकबर बगदादी के कई बार मारे जाने की खबरे आ चुकी हैं।


रुसी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इगोर कॉनशेंकोव ने एक बयान में कहा कि रक्षा मंत्रालय के पास इदबिल में अमेरिका सेना की कार्यवाई के बारे में विष्वसनीय जानकारी नहीं हैं जिसमे बगदादी के मारे जाने की बात कही जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जिस तेजी से इस अभियान में शामिल होने वाले देशो की संख्या बढ़ रही है और सब विरोधावासी जानकारी दे रहे हैं। उससे सवाल भी उठ रहे है और शक भी पैदा हो रहा है कि ये अभियान कितना विश्वसनीय हैं, और खासकर कितना सफल हुआ। इससे पहले खबरे आ रही थी कि रूस ने भी इस अभियान में भूमिका निभाई हैं लेकिन रूस के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कोनाशेंकोव ने इसका खंडन किया हैं। कोनाशेंकोव ने कहा कि खबर आ रही है वो इलाका आईएस के दुश्मन और जिहादी समूह हयात तहरीर अल-शाम का है तो ऐसे में बगदादी का वहां पर होना भी अमेरिका से सबुत की मांग करता है। 


जे.पी.एस चावला नए सीजीए बने

नई दिल्ली। जे.पी.एस चावला को वित्त मंत्रालय में कंट्रोलर जनरल ऑफ़ अकाउंट्स (सीजीए) नियुक्त किया गया हैं। 


भारतीय सिविल अकाउंट सेवा के 1985 बैच के अभिकारी चावला को विभिन्न क्षेत्रों में काम करने का 34 साल का अमुभव हैं। वह मैकेनिकल इंजीनिकल इंजिनियर हैं। वह डीडीए सहित कई संस्थानो में सेवा दे चुके हैं। 


आईआरडीएफसी के एमडी बने बनर्जी


 नई दिल्ली। अमिताभ बनर्जी को इंडियन रेलवे फाइनेंन्स कॉर्पोरेशन (आईआरडीएफसी) में प्रबंधक निदेशक (एमडी) नियुक्त किया हैं। 1988 बैंच के आईआरएआई कैडर के अधिकारी हैं। बनर्जी आईसीएआई के फेलो मेंबर हैं।  


वैध आईओसी के निदेशक बने


नई दिल्ली। श्रीकांत माधव वैध ने आईओसी में निदेशक बने (रिफ़ाइनरीज) के पद का कार्यभार संभाल लिया हैं।


केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त वैध को 33 साल का अनुभव हैं।  


बाप की शह पाकर दारोगा के बच्चो ने महिला को छेड़ा

नॉएडा। सेक्टर-27 में रहने वाली एक महिला ने दारोगा के बच्चो पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया हैं। घट्ना 26 अक्टूबर की देर रात की हैं। महिला ने मंगलवार को मामले की शिकायत ट्विटर पर वरिष्ठ अधिकारियो से की हैं। इसके बाद कोतवाली सेक्टर-20 पुलिस ने दारोगा के दोनों बेटो के खिआफ़ छेड़छाड़ समेत कई धाराओं में रपोट दर्ज की हैं। सेक्टर-27 में रहने वाली महिला के पड़ोस में ही दारोगा भी अपने परिवार के साथ रहते हैं। वह जिले के एक कोतवाली में तैनात हैं। महिला ने ट्वीटर पर वरिष्ठ अधिकारियो से शिकायत की हैं कि दारोगा के बेटे उसके घर के सामने अपनी कार कड़ी कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने उसकी खड़ी कार में टक्कर मार दी। आरोप  है कि महिला व उसके स्वजनों ने विरोध किया तो दोनों ने महिला का हाथ पकड़ने का प्रयास किया और उसके साथ छेड़छाड़ की। महिला का कहना है की पूरी घटना घर के बहार लगी सीसीटीवी में कैद है। दोनों युवको पर नशे में भी होने का आरोप लगा हैं। कोतावली प्रभारी निरीक्षक राजबीर सिंह चौहान का कहना है कि घटना 26 अक्टूबर की रात की हैं। दोनों पक्षों में कार कड़ी करने को लेकर विवाद हुआ था। उस दौरान महिला ने घटना की जानकारी पुलिस को नहीं दी। मंगलवार को उसने ट्वीट कर घटना की शिकायत की। पुलिस उस ट्वीट का संज्ञान लेकर उससे संपर्क किया और शिकायत लेकर संजय और दीपक के खिलाफ रपोट दर्ज कर जांच कर रही है।   


लिफ्ट देकर लूटा

नॉएडा। दिल्ली में मोटर मकैनिक का काम करने वाले व्यक्ति को कार सवार बदमाशों ने लिफ्ट देकर लूट लिया। बदमाशों ने सेक्टर-44 से उसे लिफ्ट दी और लूटपाट के बाद ग्रेटर नॉएडा में पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर उतार कर फरार हो गए। बुलंदशहर के सिविल लाइन निवासी आजम खान वर्तमान में दिल्ली  के मालवीय नगर में मोटर मकैनिक का काम करते हैं। दिवाली का त्यौहार मनाने के लिए वह 26 अक्टूबर की रात घर जा रहे थे। मेट्रो से वह सेक्टर 37 पहुचे। बस नहीं मिलने पर वह पैदल ही सेक्टर 44 तक गए। यहा एक कार खड़ी मिली। कार में चार लोग सवार थे। चालक ने तीन लोगो को सवारी बता कर बुलंदशहर तक जाने की बात कही। वह उन पर भरोसा कर कार में बैठ गया 


आखिर खाली कर ही दीया गुलाम ने श्रीनगर का बंगला


श्रीनगर।  पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में प्राप्त सरकारी आवास सुविधा छोड़ दी हैं। उन्हें राज्य एस्टेट विभाग ने जम्मू-कश्मीर बैंक का एक अतिथिगृह पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मख्यमंत्री महबूबा मुक्ति को भी सरकारी आवास पहली नवम्बर को खली करना होगा। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला हालाकि अपने ही मकान में हैं। यह मकान रज्य एस्टेट  विभाग ने कथित तौर पर किराय पर ले रखा हैं और फारूक को बतौर पूर्व मुख्यमंत्री आवंटित किया हैं।


फारूक, उमर और महबूबा को आवंटित मकान कड़ी सुरक्षा वाले पॉश इलाके गुपकार मार्ग पर हैं। वही पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को भी गुपकार मार्ग से आगे जठियार स्थित जम्मू-कश्मीर बैंक का अतिथिगृह बतौर आवासीय सुविधा प्रदान किया था।


जम्मू-कश्मीर बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार गुलाम नबी आजाद ने हमारा गेस्ट हाउस खाली कर दिया हैं। इस बारे में एस्टेट विभाग ने सूचित किया है, लेकिन कब्ज़ा और चाबी नहीं दी हैं।  


पुलिस की वर्दी पहन कर लूट पाट की

नॉएडा। कार सवार चार बदमाशों ने खुद को पुलिस वाला बताकर छिजारसी पुलिस चौकी के पास बाइक सवार दो युवको से पर्स और मिठाई लूट ली। आरोपिओ ने पीड़ितों को शराब पीकर बाइक चलाने पर केस दर्ज कर जेल भेजने की धमकी दी थी। दोनों युवको ने सोमवार को फेज तीन में शिकायत दी।


पुलिस को दी शिकायत में गाजियाबाद के कोट गांव निवासियों ने बताया की वह गाजियाबाद के एक कॉलेज से बीकॉम कर रहे हैं। रात करीब साढ़े ग्यारह बजे दोनों घर लौट रहे थे। जब वह छिजारसी चौकी के पास पोहचे तो चार कार युवक ने उन्हें रोक लिया। कार से निकले चार युवको ने उन्हें कहा की वह पुलिस विभाग से हैं। इसके बाद आरोपियों ने दोनों युवको पर शराब पीकर बाइक चलाने का आरोप लगाया। फिर केस दर्ज कर जेल भेजने की धमकी दी इस पर दोनों युवक दर गए। फिर आरोपियो ने उनको छोड़ने के एवज में उनसे पर्स और मिठाई दोनों ले लिए। वारदात के बाद आरोपी कार में बैठ कर फरार हो गए।   


टीवी एंकर संचालन करेंगे, निजी विचारो पर रोक

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के इलेक्ट्रॉनिक मिडिया नियामक ने टॉक शो के दौरान टीवी एंकरो को किसी भी प्रकार का निजी विचार रखने से रोक दिया हैं। इसके साथ ही एंकरो की भूमिका सिर्फ संचालन तक सिमित कर दी गई हैं। मिडिया रिपोर्ट में यह जानकारी सोमवार को दी गई हैं। 


डॉन अख़बार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को जारी आदेश में पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मिडिया रेगुलेटर अथॉरोटी (पीईएमआरए)ने नियमित शो करने वाले एंकरो को निर्देश दिया कि वे अपने या दूसरे चैनलो के टॉक शो में 'विशेष की तरह पेश न हो।'


पीईएमआरए की आचार संहिता के मुताबिक मुताबिक, एंकर की भूमिका कार्यक्रम का संचालन निष्पक्ष, तटस्थ और बिना भेदभाव के करने की हैं। उन्हें किसी भी मुद्दे पर व्यक्तिगत राय, पूर्वाग्रहो या फैसला देने से बचना हैं।


नियामक निकाय ने मिडिया हाउसों को निर्देश दिया कि टॉक शो के लिए अतिथि का चयन बेहद सतर्कता से करे। चयन के दौरान उस खास विषय पर उसके ज्ञान और विशेषज्ञता का भी ध्यान रखे। रिपोर्ट के अनुसार, 'इस्लामाबाद हाई कोर्ट के 26 अक्टूबर के एक आदेश के सभी सेटेलाइट टीवी चैनलों को यह आदेश जारी किया गया हैं।  


बुधवार, 30 अक्टूबर 2019

केंद्रीय कर्मचारी जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में बट जायेंगे

जम्मू और कश्मीर राज्य गुरुवार से औपचारिक रूप से दो केंद्र शासित प्रदेशो (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बट जायेंगे। इसी के साथ जम्मू और कश्मीर कैडर के आईएएस, आईपीएस और अन्य केंद्रीय सेवाओं के अफसर अपनी सेवाएं इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशो में यथावत जारी रखेंगे। लेकिन इन सेवाओं में जो नई भर्तियां होंगी, वह 'एजीएमयुटी' कैडर के तहत होंगी। 


जम्मू और कश्मीर के पुर्नगठन अधिनियम, 2019 के अनुसार प्रांतीय सेवाओं में कार्यरत अधिकारी अपनी सेवाएं मोजूदा तरीके से तब तक जारी रखेंगे, जब तक कि दो नए शासित प्रदेशो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उप राज्यपाल नए आदेश जारी नहीं कर देते हैं। अगस्त में संसद के दोनों सदनों में पारित नए अधिनियम के अनुसार भविष्य में जिन केंद्रीय अफसरों को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशो में नियुक्त किया जायेगा, उन्हें केंद्र सरकार जरुरत के हिसाब से एजीएमयुटी कैडर के लिए भी कर सकती हैं। इसके तहत इन दोनों नए केंद्र शासित प्रदेशो के अलावा हिमाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम, यूनियन टेरेटरीज भी आती हैं। इसी 31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख औपचारिक रूप से दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशो में तब्दील हो जायेंगे।  नए कानून के तहत जम्मू और कश्मीर में विधानसभा भी होगी जैसे पुडुचेरी में है। लद्दाख बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश होगा। जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए क्रमश: गिरीश चंद्र मुर्मू और पूर्व रक्षा सचिव राधा कृष्ण माथुर को नया उप राज्यपाल नियुक्त किया गया हैं। नए अधिनियम के अनुसार आईएएस, आईपीएस व भारतीय वन सेवा के कैडर के लिए जम्मू और कश्मीर कैडर बहाल रहेगा। अधिनियम के अनुसार दोनों नए केंद्र शासित प्रदेशो के उप राज्यपाल प्रवैधानिक शक्ति और अधिकारियो की तैनाती पर फैसले लेंगे।  


फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भार संभालेंगे नितीश

पटना। मुख्यमंत्री नितीश कुमार दूसरी बार बुधबार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्य भार संभालेंगे। दिल्ली स्थित मंगलवार हॉल में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में वह यह जिम्मेदारी संभालेंगे। बैठक में देश भर से आए जदयू के प्रतिनिधि शामिल होंगे। सात दिनो के भीतर यह दूसरा मौका हैं जब दिल्ली में जदयू के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शामिल होंगे हाल ही में दिल्ली प्रदेश जदयू के प्रशिक्षण शिविर में मुख्यमंत्री शामिल हुए थे। राष्ट्रीय परिषद की पहली बैठक 20 अक्टूबर को राजगीर में तय थी। उप चुनाव को ध्यान में रखकर दिल्ली में बैठक करने का फैसला किया गया। राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भार सँभालने के बाद परिषद की बैठक में सीएम का विशेष सम्बोधन होगा। राजनीती मसले के साथ ही सामाजिक क्षेत्र और खास तौर पर पर्यावरण के क्षेत्र में पार्टी के कार्यक्रमो की रूपरेखा पर चर्चा होगी। बिहार में चल रहे जल-जीवन-हरयाली अभियान के बारे भी चर्चा होगी।  


मोमोज खा कर 16 लोग बीमार

ग्रेटर नॉएडा। सेक्टर अल्फ़ा-2 में धनतेरस की रात ठेली पटरी पर लगने वाले मोमोज खाने से 16 लोग बीमार हो गए हैं। मोमोज खा कर बीमार होने वाले अधिकतर छात्र छात्राये हैं। खाध सुरक्षा विभाग ने मोमोज के सैंपल जाँच के लिए भेजे हैं। 


घटना बिटा-2 कोतवाली क्षेत्र की हैं। इस सेक्टर में बड़ी संख्या में पीजी हैं। इसमें रहने वाले सबसे अधिक छात्र हैं। धनतेरस की रात यहाँ लगने वाले ठेली से मोमोज खाने से 16 लोग बीमार हो गए। किसी को पेट दर्द तो किसी को उल्टी होने लगी। 


पुलिस ने जांच पड़ताल की और खाद्य सुरक्षा विभाग को सूचित किया। खाद्य सुरक्षा विभाग ने मोमोज का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा हैं। अब जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। 


सेक्टर-12 में युवती ने फांसी लगा कर आत्म हत्या की

नॉएडा। सेक्टर-12 स्थित एच ब्लॉक में मंगलवार को अकाउंटेंट युवती ने चुन्नी के फंदे से फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। घटना के समय युवती घर में अकेली थी। जब युवती के परिजन दिल्ली से नॉएडा आए तो घटना का पता चला। पुलिस को युवती के पास सुसाइट नोट मिला हैं। सुसाइट नोट में युवती ने लिखा है कि परिजन उसकी शादी करना चाहते थे, लेकिन वह अभी शादी नहीं करना चाहती थी।


सेक्टर-12 एच ब्लॉक में 28 वर्षीय सोनम अपने पिता दर्शन लाल के साथ रहती थी। थाना प्रभारी ने बताया की पत्नी को बच्चा न होने के चलते उन्होंने सोनम को अपने छोटे भाई से गोद लिया था। सोनम एक कंपनी में अकाउंटेंट थी। मंगलवार को भैया दूज के अवसर पर दर्शन लाल पत्नी के साथ गुरुग्राम में अपने ससुराल गए थे। घर पर सोनम अकेली थी। जब वह शाम करीब साढ़े पांच बजे घर आए तो सोनम का कमरा अंदर से बंद था। पुलिस मौके पर पौहची और कमरे का दरवाजा तोड़कर शव को कब्जे में लिया।  


प्रदुषण बड़ा तो प्राधिकरण ने करवाया छिड़काव

नॉएडा। बढ़ते वायु प्रदुषण को कम करने के लिए नॉएडा प्राधिकरण की ओर से शहर में पानी का छिड़काव किया गया। सीईओ के आदेश पर महाप्रवन्धक राजीव त्यागी ने वर्क सर्किल एक से पांच व उधान विभाग की ओर से एसटीपी के पानी का छिड़काव किया गया। महाप्रबंधक राजीव त्यागी ने बताया कि सीईओ के निर्देश के तहत वर्क सर्किल एक से पांच तक उधान विभाग व सिविल विभाग के अधिकारियो की देख रेख में पानी का चिड़काव कराया गया हैं। इस दौरान सेक्टर-१ की अंतरिक सड़को पर, सेक्टर-62 में सेक्टर-72 व सेक्टर-49 के सेन्ट्रल वर्ज पर, एलिवेटेड के निचे आदि स्थानों पर, पानी का छिड़काव किया गया।    


खुले में निर्माण सामग्री डालने पर जुर्माना लगाया

नॉएडा। दीपावली के बाद शहर में प्रदुषण काफी बढ़ गया हैं। ऐसे में प्रदुषण को कम करने के लिए प्राधिकरण व प्रसाशन की ओर से सख्ती की जा रही हैं। मंगलवार को खुले में निर्माण सामग्री पड़े होने पर सेक्टर-1 व सेक्टर-62 में आवंटियों पर 15 हजार का जुर्मान लगाया गया। 


महाप्रवन्धक राजिव त्यागी ने बताया कि वायु प्रदुषण को कम करने के लिए हर स्तर पर कर्यवाही की जा रही हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को जाँच के दौरान सेक्टर-1 के बी-31 व 32 के बाहर खुले में निर्माण सामग्री डाली हुईं थी। इसे ढका भी नहीं गया था, जोकि एनजीटी के नियमो का उलंघन हैं। इस पर आवंटी पर पांच हजार का जुर्माना लगाया गया। वही सेक्टर-62 के सी-20 \1ए\2 मैसर्स सैमकॉम प्रोजेक्ट प्राइवेट लिनिटेड द्वारा निर्माण सामग्री को ढका नहीं गया था।    


कपिल मिश्रा को मारने की धमकी

नई दिल्ली। पूर्व विधयक कपिल मिश्रा ने ट्विटर पर जान से मारने की धमकी की बात कही हैं। मिश्रा ने कहा है कि मुझे फेसबुक, फ़ोन और ट्विटर पर धमकी दी जा रही है कि तुम्हे कमलेश तिवारी बना दिया जायेगा।


कपिल मिश्रा पर जनसँख्या नियंत्रण के मामले में विवादित ट्वीट के चलते शिकायत दर्ज हुई हैं। उन्होंने दवा किया कि क़तर और दुबई में बैठे लोग उन्हें जान से मरने की धमकी दे रहे हैं।  


थानों में लगेंगे सरदार पटेल के फोटो

लखनऊ। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद इस बार सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती खास तौर पर धूमधाम से मनाने की तैयारी हैं। यूपी सरकार ने हर थाने में देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के चित्र लगाने का निर्णय लिया हैं। 


इसके अलावा राजधानी समेत सभी जिलों में 31 अक्टूबर को रन ऑफ़ यूनिटी का आयोजन होगा। लखनऊ में यह आयोजन सुबह आठ बजे जीपीओ पार्क स्थित पटेल प्रतिमा से शुरू होगा इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ भी शिरकत करेंगे। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने इसके सम्बन्ध में दिशा निर्देश सभी जिलों में भेजे हैं।  


सोमवार, 28 अक्टूबर 2019

बीमे की रकम के लिए लूटवा दी अपनी मर्सिडीज कार

मर्सिडीज कार लूट की फर्जी वारदात का पुलिस ने 13 घंटे के अंदर खुलासा कर दिया हैं। पुलिस ने कार बरामद कर इसके मालिक समेत चार आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया हैं। कार मालिक एक प्रतिष्ठित निजी कंपनी मे मैनेजर पद पर सेवनिवृत है। उन्होंने बिमा की रकम के लालच में कार की लूट की फर्जी सूचना पुलिस को दी थी।


पुलिस अधिकक्ष ग्रामीण नीरज कुमार जादौन ने बताया कि यह वारदात मनगढंत हैं। लक्ष्मीं नगर के रहने वाले कार मालिक हनुमान शरण बांके (70) ने खुद वारदात की साजिश रची थी। उन्होंने सोचा था की कार लूट का मामला दर्ज करा कर वह बिमा कंपनी से 15 लाख का क्लेम हासिल कर लेंगे। वही अपनी गाड़ी को आनंद विहार स्थित एक गैराज में कटवाकर गैराज मालिक से एक लाख ले लेगा। फिर दो चालकों को लेकर पुलिस को गुमराह किया।


ऐसे किया पुलिस को गुमराह : पुलिस अधिकक्ष ग्रामीण नीरज कुमार जादौन और क्षेत्राधिकारी मोदीनगर केपी मिश्रा खुद मामले की छानबीन कर रहे थे। पुलिस ने बताया की आरोपी हनुमान शरण बांके ने वारदात को सही साबित करने के लिए वसुंधरा एन्क्लेव के रहने वाले गैराज मालिक शैंकी गोयल की मदत ली और गैरेज में मरमम्त के लिए आई एक दूसरी मर्सिडीज से गंगनहर के आगे तक अपने चालक के साथ आया। यहाँ से उसने इस मर्सिडीज को वापस भेज दिया और पुलिस को फ़ोन कर दिया कि वह मर्सिडीज से देहरादून जा रहा था एसयूवी सवार तीन बदमशोने गंग नहर के पास ओवरटेक कर उन्हें रोक लिया और तमंचे की नोक पर उनकी गाड़ी छीन ली। पुलिस ने मामले की जाँच शुरू की तो 13 घंटे में ही पता चल गया की यह झूटी सुचना है और इस बारदात में कार मालिक के साथ गैराज मालिक और दो चालक भी शामिल है इसके बाद पुलिस ने गुरुवार की देर रात चारो आरोपिओ को गिरफ्तार कर लिया।  


लक्ष्य पूरा न करने वाले अफसरों पर होगी कार्यवाही: मुख्य सचिव

लखनऊ :मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने जन कल्याणकारी योजनाओ और कार्यक्रमों में प्रगति न लाने वाले अधिकारियो को सचेत किया हैं। उन्होंने कहा है लक्ष्य पूरा न करने वाले अफसरों पर सख्त कार्यवाही होगी। हर पखवारे प्रगति की जानकारी देना अनिवार्य हैं। 


मुख्य सचिव लोकभवन में वीडिओ कान्फ्रेंसिंग के जरिये मंडलायुक्तों तथा जिलाधिकारियों से योजनाओं की समीक्षा और संवाद कर रहे थे। उन्होंने दीपावली के पर्व को सौहाद्र्पूर्ण ढंग मानाने के लिए जिला स्तर पर आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।कहा की मंडलायुक्त और जिलाधिकारी स्वंय नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण कर सफाई का स्थलिय निरीक्षण करे। गो-संरक्षण कार्य न करने वाले और शून्य प्रगति वाले जिलों अलीगढ़ और गौतम बुध नगर के डीएम को उन्होंने सचेत किया। तिवारी ने आगरा, बदायू, झाँसी, मुरादाबाद में सीएम की घोषणा के अनुसार डिग्री कॉलेज खोलने के लिए जमीन चिन्हित करा कर एक सप्ताह के अंदर प्रस्ताव उपलब्ध करने के निर्देश दिए। सामुदायिक सोचलयो के निर्माण के लिए स्थल चयन की कर्यवाही 31 अक्टुबर तक तथा निर्माण कार्य आगामी 31 दिसम्बर तक पूरा करने के निर्देश दिए। 


छट पर अवकाश घोषित किया जाये

नॉएडा। भारतीय प्रवासी महासघ ने मांग की है कि छट के अवकाश पर पूरे उत्तर प्रदेश में सार्वजानिक अवकाश घोषित किया जाये व इस सम्बन्ध में प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भी भेजा हैं। संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुन्ना शर्मा ने कहा है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश व विहार में छट महापर्व की तरह मनाया जाता है व मांग की है कि इस सम्बन्ध में ये जल्द ही अधिसूचना जारी की जाये।  


प्रतिबन्ध के बाबजूद रात 12 बजे तक चले पटाखे

नॉएडा। रात्रि 10 बजे के बाद पटाखे चलाने पर प्रतिबंध के बाबजूद नॉएडा, ग्रेटर नॉएडा व गाज़ियाबाद में 12 बजे तक लोगो ने खूब पटाखे जलाये। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव का आदेश था कि 10 बजे के बाद अगर पटाखे या आतिश बाजी जलाई गई तो प्रतिबंधित थाना छेत्र के थाना द्वारा जिम्मेदार लोगो को व उनपर कार्यवाही की जाएगी। तथा इस बारे में 'नॉएडा दर्पण' ने दो दिन पहले ही छापा था कि शिकायतों के बाद भी थानेदारो पर कोई कार्यवाही नहीं होगी व विभिन्न थानेदारो में पुलिस कर्मियों की लापरवाही बनी रहेगी और शासन का आदेश केवल एक मजाक बन कर रह जायेगा। जब कि होना यह चाहिए था कि पुलिस को मुस्तैदी दिखते हुए 10 बजे के बाद आतिशबजी पर पूरी तरह से रोक लगा कर कानून का उलंघन करने वालो पर सख्त कार्यवाही करती। अब देखना यह है कि आदेश का अनुपालन न करा पाने पर शासन कोई कार्यवाही कर पता है या नहीं ?


प्राधिकरण की जमींन कब्जाने वालो पर 60 करोड़ का ज़ुर्माना

32 वर्षो से कब्ज़ा कर मार्किट बनाई


दर्जनों अन्य मामले, जिनमे मुक़दमा हारने के बादजूद कब्ज़ा 


प्राधिकरण के अधिकारी \ कर्मचारीयो की मिली भगत से सब कुछ संभव 


नॉएडा। प्राधिकरण द्वारा अभिग्रहित करने व मुआवजा उठाने के बावजूद अभिग्रहित जमीन पर अवैध रूप से 32 वर्षो से कब्ज़ा करने पर सिटी-मजिट्रेट कोर्ट ने दो भाई पर 60 करोड़, 55 लाख रूपए का जुर्माना लगाया हैं। दोनों भाइयो ने जमीं कब्ज़ा कर मार्किट बनाई हुई थी। ऐसे ही कई मामले ग्राम निठारी के भी हैं जहा पर अवैध रूप से कुछ लोगो ने कब्ज़ा कर बड़ी-बड़ी मार्किट बना दी हैं। 


चौड़ा रघुनाथपुर गांव के खसरा न: 198 का अधिग्रहण प्राधिकरण ने काफी पहले की थी, उसके बाद दोनों भाइयो ने अधिग्रहत की गई इस जमीन पर कब्ज़ा कर मार्किट बना दी और नॉएडा प्राधिकरण काफी कोशिश के बावजूद इसे खाली नहीं करा पा रहा था। गौरतलब है पूरी तरह से रुक्षत प्राधिकरण व उसके अधिकारी कब्ज़ा हटवाने में नाकाम रहे, जोकि इस बात का सबूत है कि प्राधिकरण के अधिकारियो की मिली-भगत से ऐसा हो रहा था। अतः ये प्राधिकरण ने जिलाप्रशासन की शरण ली व सिटी-मजिस्ट्रेट ने अवैध कब्ज़ा धारिओ पर 60 करोड़ का जुर्माना क्षतिपूर्ति के रूप में लगाया।  


पुरे प्रकरण में प्राधिकरण के कुछ अधिकारियो की भूमिका संग्दिग्ध रही हैं। प्राधिकरण को इस प्रकरण की जांच कर अपने उन दोषी अधिकारियो पर पहले काय्रवाही करनी चाहिए, जिनके कारन अवैध धारी प्राधिकरण पर ही भरी पड़ गया।   


मोदी ने खट्टर पर भरोसा जताया, काम काज की तारीफ की

हरियाणा में भजपा को स्पष्ट बहुमत दिलाने में मनोहर लाल भले ही चूक गए पर पार्टी मुख्यमंत्री पद के फिर उन पर ही भरोसा जता रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और  भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की सराहना से साफ हो गया कि मनोहरलाल को अभयदान मिल गया हैं। 


हरियाणा नतीजों के साथ ही सीएम पद पर किसी और चहरे को लेकर अटकले लगाने लगी थी। मगर, मोदी ने गुरुवार शाम भाजपा मुख्यालय में कहा-हरियाणा और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों के कामकाज के बदौलत ही इन राज्यों में भाजपा फिर सरकार बनाने जा रही हैं। शाह ने ट्वीट कर कहा कि मनोहर लाल ने जनता की हरसंभव सेवा की हैं।  


पड़ोस में रहने वाले बच्चे से कुकर्म का प्रयास

नॉएडा। छलेरा में रहने वाले एक किशोर से पडोसी युवक ने कुकर्म करने की कोशिश की हैं। किशोर के स्वजनों ने कोतवाली सेक्टर-39 पुलिस से शिकायत की हैं। स्वजनों ने पुलिस को बताया कि किशोर सांतवी कक्षा में पड़ता हैं। बृहस्पतिवार किशोर मार्किट से घर आरहा था। रस्ते में पड़ोस में रहने वाले युवक ने उसे झांसे से लेकर सड़क के किनारे सुनसान स्थान पर ले गया और उसके साथ कुकर्म करने की कोशिश की। विरोध करने पर मारपीट करने का भी आरोप हैं। पुलिस का कहना है की शिकायत के आधार पर जाँच की जा रही हैं।  


भारतीय नागरिको को अब ब्राज़ील के लिए वीजा कि जरुरत नहीं

दुनिया के पांचवे सबसे बड़े देश ब्राज़ील जाने के लिए भारतीय नागरिको को अब वीजा की जरुरत नहीं होगी। ब्राज़ील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो ने कहा है कि भारतीय नागरिको को ब्राज़िल आने के लिए वीजा की जरुरत नहीं होगी। कारोबार बढ़ाने के लिए ब्राज़ील ने भारत, चीन और दक्षिण अमेरिका के लोगो को वीजा से छूट प्रदान की हैं।   


शनिवार, 26 अक्टूबर 2019

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार, नेताओ को सबक

हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव कांग्रेस के लिए सबक है। पार्टी को चुनाव में बेहतर प्रदशन करना हैं, तो निर्णय भी जल्द करने होंगे। क्युकी संगठन में जुड़े फैसलों में देरी से पार्टी के प्रदशन पर असर पड़ता हैं। हरियाणा व महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव इसका उदाहरण हैं। हरियाणा में पर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और वरिष्ठ नेता अशोक तंवर का झगड़ा पुराना हैं। हुड्डा पार्टी पर अशोक तंवर को हटाने का दवाव बना रहे थे, पर पार्टी टालमटोल कर रही थी। कांग्रेस ने चुनाव से पहले प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन का निर्णय किया। बाबजूद हुड्डा खुद को साबित करने में सफल रहे और पार्टी को लड़ाई में लाकर खड़ा किया। पार्टी के एक नेता ने कहा की हुड्डा को एक साल पहले प्रदेश की कमान सौप दी होती, तो आज तस्वीर दूसरी होती। पार्टी के लिए यह भी एक सबक हैं कि मौजूदा राजनीती हालात में पुराने क्षत्रपों को साथ लेकर चलना होगा।   


अरविन्द सिंह एएआई के चेयरमैन नियुक्त

नई दिल्ली। केंद्र ने कई अधिकारियो का तबादला किया हैं। इसके तहत भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वरिष्ठ अधिकारी अरविन्द सिंह को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण का चेयरमैन और सुखवीर सिंह सिंधु को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) का प्रमुख नियुक्त किया गया हैं। कार्मिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार, फ़िलहाल अपने कैडर राज्य महाराष्ट्र में कार्यरत हैं। उन्हें भारतीय एएआईके प्रमुख पद पर नियुक्त किया गया हैं।  


अतिथि शिक्षक की नियुक्ति रोकने के लिए पत्र लिखा

डीयू के कॉलेजो में अतिथि शिक्षक की नियुक्ति नियमानुसार आरक्षण नहीं देने के मामले में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने सत्यवती कॉलेज में नियुक्ति रोकने को कहा है। डीयू में शिक्षक नेता हंसराज सुमन का कहना हैं की यूजीसी ने पिछले दिनों कॉलेजो के प्राचार्यो को पत्र भेजकर ओबीसी कोटे की दूसरी क़िस्त तहत नियुक्ति के आदेश दिए थे। लेकिन कॉलेजो ने स्थाई या तदर्थ शिक्षक न लगाकर अतिथि शिक्षक की नियुक्ति शुरू कर दी। इसमें भी निर्धारित आरक्षण का पालन नहीं किया गया। दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी,एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम ने एससी,एसटी कमीशन राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और संसदीय समिति में शिकायत दर्ज की थी। फोरम का प्रतिनिधिमंडल पिछड़ा वर्ग आयोग की सदस्या डॉ. सुधा यादव से मिले थे।   


लिफ्ट देकर महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म

उन्नाव। घर जाने के लिए साधन का इंतज़ार कर रहे दंपती को कार सवार चार युवक ने लिफ्ट देकर बैठा लिया। इसके बाद रास्ते में पति को तमंचा लगा कर उतारने के बाद चलती कार में महिला के साथ दुष्कर्म किया। पीड़ित दंपती रिपोर्ट दर्ज कराने अजगैन थाना गया तो पुलिस ने उनकी नहीं सुनी और लौटा दिया। दंपती की शिकायत पर एसपी ने एसओ को मुक़दमा दर्ज करने का आदेश दिया। 


बांगरमऊ क्षेत्र के एक गांव निवासी ने एसपी को दिए प्राथना पत्र में बताया कि वह 20 अक्टूबर को उन्नाव शहर के हरदोई पूल के पास अपनी पत्नी के साथ घर जाने लिए साधन का इंतजार कर रहा था। इसी दौरान उसका पूर्व मालिक कानपूर के काकादेव निवासी अवधेश त्रिपाठी अपने दोस्तो राधाकृष्ण शुक्ला, अखिलेश तिवारी, और एक अज्ञात युवक के साथ वहा से गुजरे।  उन्होंने कार से गांव छोड़ने की बात कही। पुराणी पहचान होने की वजह से वह कार में बैठ गया। हाइवे पहुंचने पर उन लोगो ने हसनगंज होकर चलने के लिए कहा। अजगैन से मुड़ने के बाद लखनापुर के पास तमंचा लगा कर उसे उतार दिया और उसकी पत्नी को लेकर चले गए। सभी ने चलती कार में पत्नी के साथ दुष्कर्म किया। कुछ दूर जाकर पत्नी को उतार कर भाग गए।         


रिश्वत लेते ब्लाक समंवयक गिरफ्तार

आगरा। करप्शन टीम ने बरौली अहीर ब्लॉक पर रिश्वत लेते एबीआरसी (ब्लाक सह-समंवयक) को रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। बरौली अहीर ब्लाक के प्रार्थमिक विधालय-नौफरी के सहायक अध्यापक ताजगंज के पंचगई खेड़ा निवासी देवेंद्र कुमार कुशवाहा 29 जुलाई से 8 सितम्बर तक चिकित्सीय अवकाश पर थे। शिक्षक का आरोप है की अवकाश स्वीकृत के लिए एबीआरसी हरिओम दुबे ने उनसे 10 हजार की रिश्वत मांगी। एंटी करप्शन टीम ने गुरुवार को दो दो हजार के पांच नोट पाउडर लगा कर शिक्षक को दिए। बरौली अहीर ब्लाक स्थित खंड शिक्षा अधिकारी के कर्यालय में एबीआरसी को शिक्षक से रिश्वत लेते ही रंगेहाथ दबोच लिया गया।  


दुष्कर्म का आरोपी एएमए निलंबित

चित्रकूट। चित्रकूट जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी (एएमए) को शासन ने निलंबित कर दिया गया। उन पर एक युवती ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। पीड़िता की रिपोर्ट पर जांच के बाद शासन ने कायवाही की हैं। 


मूल रूप से कानपूर निवासी एएमए सुरेंद्र कुमार वर्मा पर आठ सितम्बर को कर्यालय के पास रहने वाली उनकी नौकरानी ने कर्वी कोतवाली में दुष्कर्म मामला दर्ज कराया था। रिपोर्ट में कहा था की एएमए के जिला पंचायत स्थित सरकारी आवास पर वह खाना बनाती थी। काम के दौरान अक्सर वह उससे छेड़खानी करते थे। विरोध करने पर नौकरी से निकालने की धमकी देकर दुष्कर्म किया।   


अवैध रूप से देह व्यापर में जुड़े मसाज सेंटर बंद होंगे

इलाहबाद हाईकोर्ट ने नॉएडा, ग़ाजियाबाद और मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षको को वहा चल रहे ऐसे स्पा सेंटर, मसाज पार्लर, ब्यूटी पार्लर बंद करने के आदेश दिए हैं, जहा अनैतिक देह व्यापर किया जा रहा है। कोर्ट ने निर्देश दिया हैं की यदि इस आशय का कोई प्रत्यावेदन दिया जाता है तो संबंधित अधिकारी उस पर गंभीरता से विचार कर तत्काल कार्यवाही करें। यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल एवं न्यायमूर्ति पियूष अग्रवाल की खंडपीठ ने सेंटरफोरह्युमेन राइट्स की जनहित याचिका पर दिया। 


इन सेंटरों में कार्यरत लडकिया बड़ी संख्या में देह व्यापर में लिप्त हैं। पिछले दिनों कुछ जगहो पर पड़े छापो में बड़ी संख्या में लड़किया पकड़ी गई। याचिका में इन सेंटरों को बंद करने का निर्देश देने की मांग की गई हैं। सेंटरफोरह्युमेन राइट्स की जनहित याचिका पर कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और सम्बंधित जिलों के आला पुलिस अधिकारीयो से जबाव मंगा हैं।   


वाहनों के प्रवेश पर लगेगा शिमला में ग्रीन टैक्स

शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में अन्य राज्यों के वाहन लाने वालो को अब ग्रीन टैक्स अदा करना होगा। वाहन के अनुसार टैक्स 100 से लेकर 500 रूपए तक वसूला जायेगा। वाहन मालिकों को ऑनलाइन,शोघी बैरियर,बस अड्डे के बूथ या होटल में ग्रीन टैक्स अदा करने का मौका मिलेगा। यदि कोई टैक्स अदा नहीं करेगा तो 2000 रूपए जुरमाना देना होगा।  


पहले तीन महीने सिर्फ पर्ची कटेगी, लेकिन टैक्स नहीं लिया जायेगा। तीन महीने बाद नगर निगम की ओर से शुल्क वसूला जायेगा। इसके लिए शहर में सीसीटीवी कमरे लगेंगे। नगर निगम शहर की वित्त कमेटी ने शहर में सीसीटीवी कमरे लगते ही ग्रीन टैक्स लागू करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। इसमें निगम को करोड़ो रूपए की अतिरिक्त आये होगी। 


2016 में भी लागू किया गया था: शिमला में 2016 में पहली बार ग्रीन टैक्स लागु किया गया था। बैरियर सहित शहर के कई स्थानों पर टैक्स लेने की व्यवस्था की गई थी। राष्टीय राजमार्ग पर नगर निगम ने बिना अनापत्ति पत्र के ही बैरियर लगा दिया था। दो महीने में ये मामला हाई कोर्ट पंहुचा था। हाई कोर्ट के आदेश के बाद निगम को टैक्स वसूली के लिए लगाए बैरियर हटाने पड़े थे।    


होटल में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी

नॉएडा। महिला ठग ने छात्र को फाइव स्टार होटल में नौकरी लगवाने का झांसा देकर 30 हजार रूपए ठग लिए। पीड़ित ने आरोपी के खिलाफ सेक्टर-20 थाने में शिकायत दी हैं।  


बिशनपुरा निवासी राजेंद्र कुमार ने बताया कि वह ग्रेनो की कॉलेज से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा हैं। वह 20 दिन पहले सेक्टर-27 अट्टा मार्केट गया था। यहाँ पर उसने एक पंपलेट पर फाइव स्टार होटल में नौकरी लगवाने का विज्ञापन देखा। इस पर छात्र ने पंपलेट पर छपे नंबर पर की। कॉल रिसीव करने वाली युवती ने छात्र को आश्वासन दिया कि वह दिल्ली के नामी होटल में 15 दिन में नौकरी लगवा देगी। युवती ने फाइल चार्ज और सिक्योरिटी के नाम पर 30 हजार रूपए मांगे।  छात्र ने युवती को दस्तावेज मेल करके उसके बताये गए बैंक खाते में जमा करवा दिए। पैसे लेने के बाद युवती ने अपना मोबाइल नंबर बंद कर दिया।   


शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019

बंगाल में प्रतिबंधित पटाखे फोड़े तो होगी सात साल जेल

बंगाल में दिवाली व कालीपूजा पर प्रतिबंधित पटाखे फोड़ने पर अब पांच से सात साल तक की जेल हो सकती है। इसके साथ पांच हजार से एक लाख तक का जुर्माना हो सकता है। बंगाल प्रदुषण नियंत्रित बोर्ड ने ध्वनि व वातावरण को दूषित होने से रोकने के लिए इस बार बेहद कड़ा रुख अपनाते हुए यह चेतावनी दी है। प्रदुषण नियंत्रित बोर्ड ने कहा कि प्रतिबंधित पटाखे को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। शिकायत पर तुरंत कार्यवाही की जाएगी। 


कर्ज देने वाली संस्था यूपीएफसी खुद कर्ज में डूबी

औधोगिक- व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को ऋण देने वाला उत्तर प्रदेश वित्त निगम( यूपीएफसी) खुद कर्ज में इस कदर डूबा की अब खुद नीलम होने के कदम पर है।  स्माल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट ऑफ़ इंडिया (सीडबी)ने 661 करोड़ रूपए से अधिक की बकाया राशि जमा न करने पर उप्र वित्त निगम (यूपीएफसी) का मुख्यालय भवन और 50 फ्लैट नीलाम करने का फैसला लिया हैं।  28 नवंबर को इस कंपनी को नीलाम किया जायेगा। बुधवार को सिडबी के अधिकारिओ ने नोटिस चस्पा कर दिया। यूपीएफसी पर सीडबी का 661 करोड़ रूपए बकाया हैं।  इसमें से 372 करोड़ रूपए सीडबी यूपीएफसी को ऋण दे रखा है शेष राशि ब्याज के रूप में है।  यूपीएफसी ने तीन साल से एक भी रूपए सिडबी को नहीं दिया है। अगस्त 2017 में वसूली अभिकरण के आदेश पर सिडबी ने यूपीएफसी मुख्यालय और आगरा वाराणसी के शिवपुरी व सिगरा, कानपूर के विष्णुपूरी स्थित फ्लैट कर्क कर लिए थे।  इसके बाद साशन में बैठेक में तय किया गया कि एकमुश्त समाधान योजना के तहत सिडबी को 275 करोड़ रूपए दिए जायेंगे। यह राशि किस्तों में होगी। तब सिडबी ने कहा था कि उसे तत्काल सरकार 50 करोड़ रूपए दे।  शेष राशि उसे तीन साल में मिल जाएगी इसकी गेरंटी ले लेकिन ऐसा नहीं हो सका।  सम्पत्तिया कर्क करने के विरुद्ध यूपीएफसी प्रबंधक हाईकोर्ट गया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। यही वजह है की अभिकरण के आदेश पर सिडबी सम्पत्तियो को नीलाम करने जा रहा हैं।   


 


धनतेरस की शुभकामनाये दी


अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी- विचार विभाग के राष्ट्रीय आयोगक तरुण भरद्वाज ने सभी देश वासियो को धनतेरस के अवसर पर शुभकामनाये दी व उनके जीवन में सूख व शांति की प्रार्थना की। 


एचपी -पावर ग्रिड अब महारत्न कंपनिया

नई दिल्ली। सरकार ने बुधवार को सार्वजानिक क्षेत्रों की कंपनियों हिंदुस्तान पेरटिलिअम (एचपी) और पावर ग्रिड कॉपोरेशन को महारत्न का दर्जा दिया। इस दर्जे से इन कंपनियों की परिचालन और वित्तीय स्वायत्तता बढ़ेगी।


अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे: अखिलेश

लखनऊ। बसपा से चोट खाकर मुलायम सिंह के पुत्र अखिलेश यादव ने ऐलान किया है कि आगे से सपा अपने दम पर ही चुनाव लड़ेगी व किसी भी पार्टी से चुनाव के लिए संगठन नहीं किया जायेगा ।


गौरतलब है की 2019 के संसदीय चुनावों में अखिलेश ने बसपा के साथ गठबंधन किया था, बाबजूद इसके इन्हे करारी हार का सामना करना पड़ा। वही शुन्य पर रही बसपा 10 सीटें जीतने में कामयाब रही थी ।


महिलाओ को सुरक्षित नहीं कर पा रही उत्तर प्रदेश सरकार: मायावती


लखनऊ।  हाशिये पर आयी मायावती ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार को कटघरे में रखते हुए कहा की महिलाओ के प्रति उत्तर प्रदेश में अपराध पहले के मुकाबले काफी बढ़ गए है।  सपा अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट कर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आकड़ो का हवाला दिया और कहा की ये अकड़े भारत की छवि बेहतर नहीं बताते।  


सुभाष चोपड़ा को बनाया दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष


नई दिल्ली। कांग्रेस हाई कमान ने दिल्ली कांग्रेस की कमान वृद्ध कोंग्रेसी सुभाष चोपड़ा को सौंप दी है।  पार्टी आलाकमान ने पंजाबी समुदाय को सुधारने के उद्देश्ये से पूर्व क्रिकेट की बजाये सुभाष चोपड़ा को तरजीह दी है, सूत्रों के अनुसार पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने राज्य की बाग डोर सौंपकर कयासों को विराम दिया है।  हलाकि नए पप्रदेश अध्यक्ष के सामने चुनौती काम नहीं है।  


विधुत विभाग ने 670 बकायेदारों के कनेक्शन काटे

नॉएडा । विधुत विभाग ने बड़े पैमाने पर कार्यवाही करते हुए 670 उपभोक्ताओं बकायेदारों के कनेक्शन काट दिए। इन सभी पर विधुत विभाग को 1 करोड़ 84 लाख रूपए का बिल बकाया है। वही अभियान के दौरान 904 बकायेदरों ने मोके पर ही बिल जमा भी किये। विभाग ने बताया की हर सप्ताह वसूली के लिए अभियान चलाया जायेगा।   


10 बजे के बाद आतिशबाज़ी तो, थानेदार जिम्मेदार

                      
नॉएडा। दीपावली की रात पटाखे अगर 10 बजे के बाद जलाये जायेंगे तो सम्बंधित थाने के थानेदार पर कार्यवाही की जाएगी । इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने आदेश जारी कर कहा है की थाना प्रभारियों को आदेश का पालन करना ही होगा और कोताही या शिकायत मिलने पर उन पर कार्यवाही की जा सकती है। 8 बजे से 10 बजे तक पटाखे जलने की अनुमति होगी लेकिन तेज आवाज़ वाले पर प्रतिबन्ध रहेगा।  


मुख्य सचिव ने इस बाबत निर्देश \ आदेश तो जारी कर दिया है लेकिन किसी थानेदार पर कार्यवाही होगी इसमें लोगो को संदेह है। इसके पहले भी सपा कार्यकाल में अतिक्रमण के लिए भी सम्बंधित थानों को जिम्मेदारी दी गई थी तथा आदेश में थानेदारो पर कार्यवाही के आदेश भी थे, लेकिन आज तक किसी भी थानेदार पर कार्यवाही नहीं हुई जबकि अनेको थाना छेत्र रहे है जिनमे खूब अतिक्रमण हुआ, खुद पुलिसकर्मी पर ही अतिक्रमण करवाने में लगे रहे लेकिन कार्यवाही किसी पर नहीं हुई।  


उद्योगों के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जाये : तरुण भारद्वाज


नॉएडा। सेक्टर -6 स्थित नॉएडा प्राधिकरण के कार्यालय में ओधोगिक प्रतिनिधिओ के साथ नोएडा की मुख्य कर्यपालक अधिकारी की बैठक में फेडरेशन ऑफ़ नॉएडा इंडस्ट्रीज़ के अध्यक्ष तरुण भरद्वाज ने मांग उठाई की उधोगो को प्रयाप्त पानी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है जिसके कारण उन्हें प्राधिकरण के द्वारा जल सप्लाई के अलावा भीं अतिरिक्त तौर पर समरसिबर लगवाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा की आवासीय ओधोगिक छेत्रो में सुबह 6 बजे से 8 बजे और शाम 6 बजे से 8 बजे पानी की सप्लाई किया जाता है। जबकि उधोग सुबह 9 बजे से और शाम 5:30 बजे तक ज्यादातर उधोग बंद हो जाते है। ऐसे में प्राधिकरण सप्लाई का कोई फायदा नहीं होता है।  फेडरेशन के अध्यक्ष तरुण भरद्वाज ने कहा है की सप्लाई के साथ में बदलाव किया जाये तथा दोपहर भी एक घंटा जल सप्लाई की जाये।  


मुख्यकार्यपालक अधिकारी ने इस सम्बन्ध में उप महा प्रबंधक को सप्लाई के समय में परिवर्तन का निर्देश दिया ताकि उधोगो को प्राधिकरण द्वारा सप्लाई जल का उपयोग किया जा सके।  


गुरुवार, 3 अक्टूबर 2019

पाकिस्तान में फिर हो सकता है तख्ता पलट

कंगाली की दहलीज पर खड़े पाकिस्तान के ऊपर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से दोगुना चीन का कर्ज है। इस राशि को चुकाने के लिए पाकिस्तान को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ेगा। हाल में ही आई रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर तक गिर चुका है।


सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने देश के बड़े कारोबारियों से निजी मुलाकात की है। यह मुलाकातें कराची के सैन्य कार्यालय के अलावा सेना के रावलपिंडी स्थित हेडक्वार्टर में आयोजित की गई, जहां पर बाजवा ने कारोबारियों से अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सुझाव मांगे हैं। हालांकि विशेषज्ञ इसको एक तरह से सेना की तख्तापलट करने की तैयारी के तौर पर भी देख रहे हैं। इमरान खान के कार्यकाल से खुश न होने पर ही बाजवा ने यह कदम उठाया है।


विधायक अदिति सिंह को मिली वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा

दलगत भावना से ऊपर उठकर राष्ट्रपिता के सम्मान में सदन में आई विधायक अदिति सिंह को वाई श्रेणी की सुरक्षा देने की घोषणा की गई है। विधानसभा के विशेष सत्र में शामिल होने पहुंचीं अदिति सिंह ने यह कहकर कांग्रेस को साफ संदेश दे दिया कि मैंने वही किया जो क्षेत्र की जनता के हित में है, जनता की आवाज उठाना मेरा फर्ज है।


महानगर कांग्रेस द्वारा शास्त्री जी की जयंती पर गोष्ठी का आयोजन किया गया

दिनांक 2.10.2019 को महानगर कांग्रेस कमेटी,नोएडा द्वारा गिझोड़ कार्यालय पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 150वी जयंती वे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया व उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर दोनों महान शख्सियतों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई  ब्लॉक कांग्रेस कमेटी नोएडा अध्यक्ष साबुद्दीन नोएडा ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि ऐसी महान दोनों शख्सियतों को हम उनकी जयंती पर शत-शत नमन करते हैं उनके बताए हुए रास्ते पर चलने का संकल्प लेते हैं इस मौके पर सभी कांग्रेस जन उपस्थित थे




हरियाणा में सभी सीटों कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किये

हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डा. अशोक तंवर के विरोध प्रदर्शन, कांग्रेस विधायक दल की पूर्व नेता किरण चौधरी तथा पूर्व सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव की नाराजगी के बीच आधी रात के बाद जारी हुई इस सूची में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तथा प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा की पसंद के उम्मीदवारों का दबदबा रहा।


कालका- प्रदीप चौधरी, पंचकूला-चंद्रमोहन, नारायणगढ़-श्रीमती शैली, अंबाला सिटी-जसबीर मालौर, मुलाना (सुरक्षित)-वरुण चौधरी, सढौरा (सुरक्षित)-रेनू बाला, जगाधरी-अकरम खान, यमुनानगर-निर्मल, शाहबाद (सुरक्षित)-अनिल धंतौड़ी, थानेसर-अशोक अरोड़ा, पिहोवा-मनदीप सिंह, गुहला (सुरक्षित)-दिल्लू राम, कलायत- जयप्रकाश (जेपी), कैथल- रणदीप सुरजेवाला, पुंडरी-सतबीर सिंह जांगड़ा, नीलोखेड़ी (सुरक्षित)-बंताराम बाल्मीकि, इंद्री-डॉ.नवजोत कश्यप, करनाल-त्रिलोचन सिंह


घरौंडा- अनिल राणा, पानीपत ग्रामीण-ओपी जैन, पानीपत शहर-संजय अग्रवाल, इसराना (सुरक्षित)-बलवीर बाल्मीकि, समालखा-धर्म सिंह छोकर, गन्नौर-कुलदीप शर्मा, राई-जयतीर्थ दहिया, खरखौदा (सुरक्षित)-जयवीर बाल्मीकी, सोनीपत-सुरेंद्र पंवार, गोहाना-जगबीर सिंह मलिक, बरौदा-श्रीकृष्ण हुड्डा, जुलाना-धर्मेंद्र ढुल, सफीदों-सुभाष देशवाल, जींद-अंशुल सिंगला, उचाना कलां-बालाराम कठवाल, नरवाना (सुरक्षित)-विद्या रानी, टोहाना-परमवीर सिंह, रतिया (सुरक्षित)-जरनैल सिंह, कालांवली (सुरक्षित)-शीशपाल, डबवाली-अमित सिहाग, रानिया-विनीत कंबोज, सिरसा-होशियारी लाल शर्मा, ऐलनाबाद-भरत सिंह बेनीवाल, आदमपुर-कुलदीप बिश्नोई, उकलाना (सुरक्षित)-बालादेवी, नारनौंद-बलजीत सिहाग, हांसी-ओमप्रकाश, हिसार-रामनिवास, नलवा-रणधीर पनिहार, लोहारू-सोमवीर सिंह, बाढड़ा-रणबीर महेंद्रा, दादरी-नृपेंद सिंह, भिवानी-अमर सिंह, तोशाम-किरण चौधरी, बवानीखेड़ा-(सुरक्षित)-रामकिशन फौजी, महम-आनंद सिंह डांगी गढ़ी सांपला किलोई-भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रोहतक- भारत भूषण बतरा, कलानौर (सुरक्षित)-शकुंतला खटक, बहादुरगढ़-राजेंद्र जून, बादली-कुलदीप वत्स, झज्जर (सुरक्षित)-गीता भुक्कल, बेरी-डॉ.रघुबीर सिंह कादयान, अटेली-राव अर्जुन सिंह, महेंद्रगढ़- राव दान सिंह, नारनौल-राव नरेंद्र सिंह, नांगल चौधरी-राजाराम गोलवा, बावल (सुरक्षित)-एमएल रंगा, कोसली-यादवेंद्र सिंह, रेवाड़ी-चिरंजीव राव, पटौदी-(सुरक्षित)-सुधीर चौधरी, बादशाहपुर-कमलबीर यादव, गुरुग्राम- सुखबीर कटारिया, सोहना-शमशुद्दीन, नूंह-आफताब अहमद, फिरोजपुर झिरका-मामन खान, पुन्हाना-मोहम्मद एजाज खान, हथीन-मोम्मद इजराइल, होडल(सुरक्षित)-उदयभान, पलवल-करण दलाल, पृथला-रघुबीर सिंह तेवतिया, एनआइटी फरीदाबाद- नीरज शर्मा, बड़खल-विजय प्रताप सिंह, बल्लभगढ़-आनंद कौशिक, फरीदाबाद-लखन सिंगला, तिगांव- ललित नागर


मंगलवार, 1 अक्टूबर 2019

स्वाध्यायः एक जाग्रत देवता

ज्ञान की वृद्धि के लिए,  ज्ञानोपासना के लिए, पुस्तकों का  अध्ययन एक महत्वपूर्ण आधार है। मानव जाति द्धारा संचित समस्त ज्ञान पुस्तकों में संचित है। खासकर जब से लिखने और छापने का प्रचार हुआ, तबसे तो मानव द्धारा उपलब्ध ज्ञान लिपिबद्ध करके संचित किया जाने लगा। इसलिए उŸाम पुस्तकों का अध्ययन करना ज्ञान प्राप्ति क लिए बहुत ही आवश्यक होता है। अच्छी पुस्तकें एक विकसित मस्तिष्क का 'ग्राफ' होती हैं। मिल्टन ने कहा है- 'अच्छी पुस्तक एक महान आत्मा का जीवन रŸा है क्योंकि उसमें उसके जीवन का विचारसार सन्न्ािहित होता है, व्यŸिा मर जाते हैं, लेकिन ग्रंथों में उनकी आत्मा का निवास होता है। ग्रंथ सजीव होते हैं। इसलिए मिल्टन ने कहा है 'ग्रंथ में आत्मा होती है। सद्ग्रंथों का कभी नाश नहीं होता।'
 विकासशील जीवन के लिए पुस्तकों का साथ होना आवश्यक है, अनिवार्य है, क्योंकि पुस्तकों में उसे जीवन का मार्गदर्शन तथा प्रकाश स्त्रोत मिलता है। वस्तुतः संसार के भीषण सागर में डूबते उतराते मनुष्य के लिए पुस्तकें उस प्रकाश स्तंभ की तरह सहायक होती हैं, जैसे समुद्र में चजने वाले जहाजों को मार्ग दिखाने वाले प्रकाशगृह।
 सिसरो ने कहा है 'ग्रंथ रहित कमरा आत्मा रहित देह के समान है।' तात्पर्य यह है कि उŸाम पुस्तकें नहीं होने से मनुष्य ज्ञान से वंचित रह जाता है और ज्ञान रहित जीवन मुर्दे के समान व्यर्थ होता है। जो व्यŸिा दिन-रात अच्छी पुस्तकों का संपर्क प्राप्त करते हैं उनमें मानवीय चेतना, ज्ञान प्रकाश से दीप्त होकर जगमगा उठती हैं। ज्ञान का अभाव भी एक तरह की मृत्यु है। उŸाम विचार उदाŸा भावनाएं, भव्य कल्पनाएं जहां है, वहीं स्वर्ग हैै। लोकमान्य तिलक ने कहा है 'मैं नरक में भी उŸाम पुस्तकों का स्वागत करुंगा क्योंकि इनमें वह शŸिा है कि जहां ये रहेंगी वहां अपने आप ही स्वर्ग बन जाएगा।' स्वर्ग का दृश्य अस्तित्व कहीं नहीं है। मनुष्य की उत्कृष्ट मनःस्थिति जो उŸाम विचारों का फल है, वहीं स्वर्ग है। उŸाम पुस्तकों का सन्न्ािध्य मनुष्य की बुद्धि को जहां भी मिलता है, वहीं उसे स्वर्गीय अनुभूति होने लगती हैै। सच्चे, निःस्वार्थी, आत्मीय मित्र मिलना कठिन हैं। बहुतों को इस संबंध में निराश ही होना पड़ता है, लेकिन अच्छी पुस्तकें सहज ही हमारी सच्ची मित्र बन जाती हैं। वे हमें सही रास्ता दिखाती हैं, जीवन पथ पर आगे बढ़ने में हमारा साथ देती हैं। महात्मा गांधी ने कहा है ' अच्छी पुस्तकें पास होने पर हमें भले मित्रों की कमी नहीं खटकती, वरन मैं जितना पुस्तकों का अध्ययन करता हूं उतनी ही वे मुझे उपयोगी मित्र मालूम होती हैं।' मानव जीवन संसार का ज्ञान असंख्य अनेकताओं से भरा पड़ा है। मनुष्य का अपना मानस ही इतने अधिक विचारों से भरा रहता है, क्षण- क्षण नई लहरें उत्पन्न्ा होती रहती हैं। इन अनेकताओं का परिणाम होता है मनुष्य के अंतर बाह्म जीवन में अनेकों संघर्ष। विचार संग्राम में पुस्तकें ही मनुष्य के लिए प्रभावशाली शस्त्र सिद्ध होती हैं। एक व्यŸिा का ज्ञान सीमित एकांगी हो सकता है लेकिन उŸम पुस्तकों के स्वाध्याय से मनुष्य सही-सही समाधान खोज सकता है। खासकर विचारों के संघर्ष में पुस्तकें ही सहायक सिद्ध होती हैं। पुस्तकें मन को एकाग्र और संयमित करने का सबसे सरल साधन हैं। अध्ययन करते-करते मनुष्य जीवन में समाधि अवस्था को प्राप्त कर सकता है। एक बार लोकमान्य तिलक का आपरेशन होना था। इसके लिए उन्हें क्जोरोफार्म सुंघाकर बेहोश करना था लेकिन इसके लिए डाॅक्टर को मना कर दिया और कहा 'मुझे एक गीता की पुस्तक ला दो, मैं उसे पढ़ता रहूंगा और आपरेशन कर लेना।' पुस्तक लाई गई। लोकमान्य उसके अध्ययन में ऐसे लीन हुए कि डाॅाक्टरों ने आपरेशन किया तब तक वे तनिक हिले भी नहीं, न कोई दुख ही महसूस किया। पुस्तकों के अध्ययन में ऐसी तल्लिनता प्राप्त हो जाती है कि जो लंबी योग साधनाओं से भी प्राप्त नहीं होती है। 
पुस्तकों के अध्ययन के समय मनुष्य की गति एक सूक्ष्म विचार लोक में प्रवाहित होने लगती है। दृश्य जगत, शरीर यहां के कई व्यापार हो-हुल्लड़ भी मनुष्य उस समय भूल जाता है। सूक्ष्म विचार लोक में भ्रमण करने का यह अनिर्वचनीय आनंद योगियों की समाधि-अवस्था के आनंद जैसा ही होता है। इस स्थिति में मनुष्य दृश्य जगत से उठकर अदृश्य संसार में, सूक्ष्म लोक में विचरण करने लगता है और वहां कई दिव्य चेतन विचारों का मानसिक स्पर्श प्राप्त करता है। यह ठीक उसी तरह है जैसे योगी दिव्य चेतना का सन्न्ािध्य प्राप्त करता है ध्यानावस्ािा में। पुस्तकों का अध्ययन ऐसा साधन है, जिससे मनुष्य अपने अंतर्बाह्म जीवन का पर्याप्त विकास कर सकता है। मनोविकार से परेशान, दुःख-दर्द के समय उŸाम पुस्तकें अमृत हैं, जिनका सान्न्ािध्य प्राप्त कर वह अपना उस समय दुःख दर्द, क्लेश सब कुछ भूल जाता है। अच्छी पुस्तकें मनुष्य को धैर्य, शांति, सांत्वना प्रदान करती हैं। किसी ने कहा है- 'सरस पुस्तकों से रोग पीड़ित व्यक्ति को बड़ी शांति मिलती है। वैसे ही मन या शरीर की पीड़ा को शांत करने के लिए उŸाम पुस्तकों का अवलंबन लेना सुखकर होता है। उŸाम पुस्तकें आदर्श ग्रंथ बहुत बड़ी संपŸिा है। अपनी  संतति के लिए सर्वोपरि मूल्यवान वस्तु है संसार में। जो अभिभावक अपनी संतान के लिए धन, वस्त्र, सुख, अमोद-प्रमोद के साधन ना छोड़कर उŸाम पुस्तकों का संग्रह छोड़ जाते हैं वे बहुत बड़ी संपŸिा छोड़ते हैं। क्योंकि उŸाम ग्रंथों का अध्ययन करके मनुष्य, ऋषि, देवता महात्मा, महापुरुष बन सकता है। जिन परिवारों में ज्ञानार्जन का क्रम पीढियों से चलता रहता है, उनमें से पंडित, ज्ञानी, विद्वान अवश्य निकलकर आते  हैं। जहां पुस्तकें होती हैं। वहां मानों देवता निवास करते हैं। वह स्थान मंदिर है, जहां पुस्तकों के रुप में मूक किंतु ज्ञान के चेतनायुŸा देवता निवास करते हैं। वे माता-पिता धन्य हैं जो अपनी संतान के लिए उŸाम पुस्तकों का एक संग्रह छोड़ जाते हैं क्योंकि धन, संपŸिा, साधन सामग्री तो एक दिन नष्ट होकर मनुष्य को अपने भार से डुबो भी सकती हैं, किंतु उŸाम पुस्तकों के सहारे मनुष्य भवसागर की भंयकर लहरों में भी सरलता से तैरकर उसे पार कर सकता है। जीवन में अन्य सामग्री की तरह हमें उŸाम पुस्तकों का संग्रह करना चाहिए। जीवन में विभिन्न्ा अंगों पर प्रकाश डालने वाले, विविध विषयों के उŸाम ग्रंथ खरीदने के लिए खर्च के बजट में सुविधानुसार आवश्यक राशि रखनी चाहिए। कपड़े, भोजन, मकान की तरह ही हमें पुस्तकों के लिए भी आवश्यक खर्चे की तरफ ध्यान रखना चाहिए। स्मरण रखा जाना चाहिए कि उŸाम पुस्तकों के लिए खर्च किया जाने वाला पैसा उसी प्रकार व्यर्थ नहीं जाता, जिस तरह अंधेरे बियावान जंगल में प्रकाश के लिए खर्च किया जाने वाला धन। धन कमाना कोई बड़ी बात नहीं है। पढ़े लिखे और विचारवान व्यक्तियों के लिए तो वह सबसे छोटी समस्या है। ज्ञान का उद्देेश्य व्यक्तिगत जीवन में शांति और समाजिक जीवन में सभ्यता और व्यवस्ािा लाना है, वह भी शिक्षा और ज्ञान के अभाव में पूरा नहीं हो सकता। इसलिए पढ़ना सब दृष्टि से आवश्यक है। पुस्तकालय समाज की अनिवार्य आवश्यकता है। मनुष्य को भोजन, कपड़े और आवास की व्यवस्था हो जाती है तो वह जिंदा रह जाता है, शेष उन्न्ाति तो वह उसके बाद सोचता है। समाज यदि विचारशील है तो वह शांति और सुव्यवस्था ही अन्य आवश्यकताएं बाद में भी पूरी कर सकता है, इसलिए पुस्तकालय समाज की पहली आवश्यकता है, क्योंकि उससे ज्ञान और विचारशीलता ही सर्वोपरि आवश्यकता की पूर्ति होती है, किंतु इतना ही काफी नहीं है कि एक स्थान पर पुस्तकें जमा कर दी जाएं, उनके विषय चाहे जो कुछ हों। गंदे और दूषित विचार देने वाली पुसतकों से तो अनपढ़ अच्छा जो बुराई करता है पर बढाता नही। जितनी बुराइयां बन चुकी हैं, उन्हीं तक सीमित रह जाता है। यथार्थ की आवश्यकता की पूर्ति उन पुस्तकों से होती हैं,  जो प्रगतिशील विचार दे सकती हैं,  जो समस्याएं हल कर सकती हैं, जो नैतिक और सांस्कृतिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक समाजिक और विश्वबंधुत्व की प्रेरणाएं और शिक्षाएं भी दे सकती हैं।       


जीवन में समझौते का महत्व

हमारे जीवन में समझौतों का बहुत महत्व है, बल्कि हम कह सकते हैं कि हमारा समूचा जीवन ही समझौतों का एक कभी न टूटने वाला सिलसिला हैै। कोई शख्स कितना भी शक्शिाली, घमंडी और अमीर क्यों न हो उसे भी जीवित रहने के लिए कई बार कई जगह समझौते करने ही पड़ते है। इसे हम यूं भी कह सकते हैं कि उसे भी दूसरों के विचारों को महत्व देना पड़ता है, उनका आदर करना पड़ता है। हम दूर न जाकर अपने परिवार को ही लें। आजकल के छोटे परिवारों में मां-बाप, बच्चे और कभी-कभी सास ससुर साथ रहते है। 
बुजुर्गों के साथ तो कई बातों में मतभेद होने पर समझौते करने ही पड़ते हैं कुछ वे झुकते हैं कुछ बेटे-बहू तभी घर मे सुख- शांति रह सकती है। नहीं तो आए दिन छोटी-छोटी बातों को लेकर मतभेद और उससे उत्पन्न तकरारों का सामना करना पड़ता है, जिससे घर की शांति तो भंग होती ही है पास-पड़ोस में बदनामी भी होती है और लोगों का मुक्त में मनोरंजन होता रहता है। यही हाल बच्चों के साथ है, बढ़ते हुए बच्चे अपनी अस्मिता के प्रति जागरूक रहते हैं। अपने अहं की संतुष्टि के लिए वे कई बार आपके ठीक विपरीत जाएंगे। खासकर किशोरावस्था में जब बच्चे न उच्चे ही रह जाते है न बड़ों में ही उनकी गिनती आती हैं, तब वे अघिक संवेदशील और विद्रोही हो जाते हैं। उनके साथ व्यवहार में तब आपको काफी सूझबूझ और धैर्य से काम लेना होता है। ऐसे समय में भी समझौतों की आवश्यकता पड़ती है। समझौते का मतलब यह हर्गिज नहीं कि आप उनकी वाजिब और गैरवाजिब हर बात पर झुकते हैं और उन्हें मनमानी करने दें, ऐसा न करके कोई बीच का रास्ता अपनाया जा सकता है, जिससे बच्चों को यह भी न लगे कि बनकी बात नहीं मानी जा रही है, उनका विरोध किया जा रहा है, और आपकी बात भी रह जाए,  जो कि अक्सर उन्हीं की भलाई के लिए होती है। जिसे वे अपनी अपरिपक्वता तथा नादानी के कारण उस समय समझ नहीं पाते हैं। 
उदाहरण के लिए आपकी बेटी अपने मित्र के साथ पिक्चर जाने की जिद कर रही है तो आप उसे छूटते ही कड़े शब्दों में इंकार न करें, हो सके तो बसके हम उम्र भाई या बहत अगर हैं तो उसे भी साथ भेज दें या किसी और सहेली को साथ ले जाने को कहें या फिर यह कह सकती हैं कि 'बेटी क्यों न यह पिक्टर तुम हमारे साथ ही देखो। आखिर आप भी तो पिक्चर बेटी की पसंद की ही देख लें तो उसमें हर्ज ही क्या है, उसका मन भी रह जाएगा, वह आपसे नाराज होकर मुंह न फुलाएगी, या हो सकता है वह विद्रोह मर ही उतर आये। हर बात के लिए अगर आप बच्चों को टोकते रहने या न करते रहने की आदत डाल लेंगे तो वे भी आपकी मर्जी के खिलाफ जाने की आदत डाल लेंगे। आपके घर में नई बहू आती है। अलग वातावरण में पत्नी होने के कारण उसकी आदतें आपके घर के अनुरूप एकदम तो नहीं हो सकतीं। आप धैर्य और समझ से काम लेंगे, उसे थोड़ा वक्त देंगे, तभी वह अपने आपको घर के रंग मे ढाल पाएगी । 
घर मे हंसी-खुशी का हल्का-फुलका माहैाल बनाए रखने के लिए स्वभाव का लचीलापन निहायत जरूरी है। कठोर अनुशासन में हर घड़ी रहना कोई पसंद नहीं करता चाहे फिर वो आपके बेटे-बेटी हों, बहू हो या पोते-पोती। जी, हां छोटे बच्चे भी विद्रोह करना बखूबी जानते हैं। नन्हें-नन्हें हाथ-पैर पटककर चीख-चिल्लाकर वे भी अपनी नाराजगी प्रकट करना जानते हैं। समझौते की आदत अगर बड़ों में होगी तो बच्चे स्वतः ही इसे अपना लेंगे। सभी मां-बाप अपने बच्चों को स्नेह करते हैं, उसी तरह बच्चे भी मां-बाप को प्यार करते हैं। समझौता उसी प्यार और स्नेह का प्रदर्शन है। स्नेह, प्यार करने वालों के लिए समझौतों से आपसी यद्भाव बढ़ता है। एक -दूसरे को समझना आसान हो जाता है। समझौतों से जीवनपथ सुगम हो जाता है, जिस पर वक्त के पहिए आसानी  से फिसलतें चले जाते हैं। आपसी रिश्ते आईने की तरह नाजुक होते है जो चटख गए तो फिर कभी नहीं जुड़ पाते। दैनिक जीवन मे हम छोटी-छोटी तुच्छ बातों में दूसरों की भवना की परवाह किए बगैर अपनी ही मर्जी चलाना चाहते हैं, हमारा अहं, इतना प्रबल होता है कि दूसरे की मर्जी को मान लेना हम अपनी हार समझते हैं। 
इस तरह अहंवादी बनकर हम हर जब हर एक के पास सोचने के लिए अपना दिमाग, अपनी बुद्धि है, तो फिर उसे अपने ढंग से सोचने और व्यवहार करने की आजादी क्यों न मिले? जैसे आपको अपने ऊपर किसी की पर्जी लादा जाना अच्छा नहीं लगता तो दूसरे को भी यह अच्छा नहीं लगेगा, फिर इसका हल क्या है? इसका हल है समझौता। एक बहुत छोटा सा उदाहरण है, आपको अरहर की दाल पसंद है और आपके पति को उड़द की दाल। आप रोज ही अरहर की दाल बनाएंगी तो लाजिमी है कि पतिदेव के बुरा लगेगा, वे खुद यह कभी न कहेंगे कि तुम अरहर की दाल कभी न बनाओ और चूंकि मुझे उड़द की दाल मसंद है रोज़ उड़द की दाल ही बनाओ। इसलिए आप कभी बनकी पसंद की उड़द की दाल बनाएगी और कभी अपनी पसंद की अरहर की तो पतिदेव भी खुश रहेंगे और आप भी खुश। छोटी-छोटी रोजमर्रा की बातों से ही पति, घर परिवार तथा जीवन में मधुरता या कड़वाहट पैदा होती है। जिनका कारण समझौते करना या न करना ही होता है। 
पति-पत्नी जब एक-दूसरे का दृष्टिकोण समझने से इंकार कर एक-दूसरे के सामने चुनौती बन खड़ हो जाते हैं, अपने-अपने अहं के विष्धरों को दूध पिलाते, वातावरण विषमय कर लेते हैं, जिसकी फिजा में फिर उन्हें सांस लेना दूभर हो जाता है। नतीजा होता है अलगाव, तलाक परिवार का तितर-बितर हो जाना। प्यार का नीड़ जो उन्होंने कभी यत्न से बनाया था, तितर-बितर हो जाता है। ऐसे में बच्चों को ज्यादा फजीहद होती है क्योंकि उन्हें माता-पिता दोनों के होते हुए भी एक के प्यार से वंचित रह जाना पड़ता है जो उनके व्यक्तित्व के संमूर्ण विकास में बाधक होता है। जीवन में संघर्ष की हर क्षेत्र में संभावना बनी ही रहती है, जिसके मूल में कारण यही है कि कोई भी दो व्यक्ति एक से नही मिलेंगे। उनकी सोच, शिक्षा-दीक्षा कंपनी, मित्र मंडली जिनमें उठते-बैठते हैं उनके वंशानुगत गुण-अवगुण भिन्न-भिन्न होते हैं। अतः साथ रहने के लिए काफी समझौते करने पड़ते हैं। घर की तरह ही बाहर नौकरी, वयापार इत्यादि में भी समझौता किए बगैर काम नहीं चलता। मिस्टर खन्ना पहले दर्जे के अहंवादी हैं अपने आगे वे किसी को कुछ नहीं समझते, उनकी मानसिकता है 'अहं ब्रह्यस्मि'। विधवा बूढ़ी मां और अनमढ़ बीबी पर तो अपना हुकुम चला लेते हैं लेकिन यही तेवर जब वे अपने सहकर्मियों में दिखाते हैं, तो वे भला उनका रौब क्यों सहने लगे। इस कारण वे सबसे आये दिन उलझते रहते हैं। परिणामस्वरूप बनके बाॅस से उनकी शिकायतें होने लगीं। शुरू में बनके बाॅस मिस्टर सेठी ने ध्यान नहीं दिया वे अभी नए-नए ट्रान्सफर होकर आए थेै लेकिन जब वे खुद खन्ना के संपर्क में आने लगे और यही तेवर उसने बाॅस का बाॅस बनकर दिखाने चहो, तो पहले उन्होंने चेतावनी देकर छोड़ दिया, लेकिन इस पर भी जब खन्ना का रवैया न बदला दूर-दराज के छोटे से गांव में कर दिया गया। अब खन्ना के होश ठिकाने आए, जाकर बाॅस से माफी मांगी, बीबी-बच्चों की दुहाई दी अब वह अपरी सही स्थिति पर आ गया था, तब बाॅस ने आखिरी चेतावनी देकर माफ कर दिया।  


गुणों से भरपूर-काली मिर्च

काली मिर्च को प्राचीन काल से ही घरेलू मसालों का राजा माना जाता है। काली मिर्च बहुत उपयोगी मानी जाती है, क्योंकि शरीर की हर व्याधि का इसमें समाधान छिपा है। यदि भूख कम लगती है या ज्यादा। दोनों रोगों को काली मिर्च ठीक करती है। यदि भूख कम लगती है या ज्यादा। दोनों रोगों को काली मिर्च ठीक करती है। भोजन के स्वाद में वृद्धि होती है। शहद के साथ काली मिर्च खाने से - गले की खराश, दर्द, कफ ठीक हो जाता है। आचार चटनी में काली मिर्च डालने से वे स्वादिष्ट हो जाते हैं। विशेषज्ञों का मत है कि काली मिर्च पाउडर का सेवन करने से बवासीर में आराम पहुंचता है। पापड़, बड़ी और मठरी बनाते समय उसमें कालीमिर्च का प्रयोग करते हैं। इससे मठरी कड़क एवं स्वादिष्ट बनती है। शिकंजी, लैमन वाॅटर एवं शर्बत में काली मिर्च डालकर पिएं तो चिŸा शांत एवं प्रसन्न हो उठता है। महंगी होने के कारण इसमें पपीते के बीजों का मिश्रण किया जाता है, क्योंकि आकृति और आकार में पपीते के बीज कालीमिर्च जैसे ही नजर आते हैं।
इसको अंग्रेजी में 'ब्लैक पीपर' कहते है। वनस्पति विज्ञान में इसका वैज्ञानिक नाम 'पाईपर नाईग्रम' है। यह पाईपरेसी जाति का पौधा होता है। यह पाचन क्रिया को तेज करती है। रक्त शोधक होती है ंतथा मरोड़ और पेचिश ठीक करने में सहायक होती है। यह सुगंधित मसाला माना जाता है। यदि काली मिर्च का चूर्ण लगातार भोजन से पहले फांका जाए तो यह संजीवनी की भांति कार्य करता है और शरीर का काया कल्प करता है।


मंत्र साधना इष्ट से संपर्क का माध्यम

मन्त्र साधक और इष्ट में संपर्क का माध्यम है। मानव ने अपने कल्याण के साथ्ज्ञ.साथ दैविक जीवन की सम्पूर्ण समस्याओं के समाधान हेतु यथा समय मंत्रों का प्रयोग किया है। विविध प्रयोजन के लिए मंत्रों का उपयोग और परिणाम कहनें सुननें से ज्यादा अनुभव का विषय है। मंत्र चिकित्सा के द्वारा व्यक्ति रोग निवारण के मंत्रों रूपी रामबाण औषधी का प्रयोग कर सकता है। जीवन में उत्रति पाने के लिए मंत्र एक समर्थ उपाय है। मंत्रों में प्रयुक्त स्वरए व्यंजनए नाद व बिंदू देवताओं या षक्ति के विभित्र रूप एवं गुणों को प्रदर्शित करते है। मन्त्राक्षरों वाद एवं बिन्दूओं में दैवी शक्ति छिपी रहती है। मंत्र उच्चारण से ध्वनि उत्पत्र होती है। उत्पत्र ध्वनि का मंत्र के साथ विशेष प्रभाव होता है। इसके प्रयोग से बड़े से बड़े दूर्लभ कार्यों को किया जा सकता है। लिंगानुसार मंत्रों के तीन भेद तीन प्रकार है1. जिन मंत्रों के अंत में है या फ्टट् लगा होता है। ऐसे मंत्र, शांति कर्म या वशीकरण में सिद्ध किये जाते है। 
2. स्त्री मंत्र . जिन मंत्र के अंत में स्वाहा का प्रयोग होता है। ऐसे मंत्रों का उपयोग षुद्ध क्रियाओं के लिए किया जाता है।
3. नपुंसक लिंग . मंत्रों के अंत में नमः प्रस्तुत होता है, इसका उपयोग समयानुसार किया जाता है।
मंत्र साधना एवं कार्य सफलता हेतु मंत्र जाप के लिए उत्तम त्रतुए तिथिए दिन व समय का चयन करना बहुत आवश्यक है। मंत्र साधक को सर्वप्रामि योग्य गुरू मंत्र दीक्षा लेनी चाहिए। इसके मंत्रजाप के समय मंत्र का स्वर आसन पर योग्य दिशा में बैठना आदि अनेक नियमों का परिपालन करना आवश्यक होता है। मंत्र का प्रभाव आलौकिक होता है किंतु जब तक अनुभव या श्रद्धा न हो जाए तब तक साधना की इच्छा जागृत नहीं हो सकती। मंत्रो द्वारा रोग चिकित्सा का हमारे वेदों पुराणों व मंत्र शास्त्रों में शास्त्रों में बखूब वर्णन मिलता है। एक ध्वनियों के समूह से बनी एक आलौकिक उर्जा का स्त्रोत होता है। ध्वनि विज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा शरीर पर उसकी अचुक प्रतिक्रिया होती है। मंत्रों पर ध्वनि का सटीक व निच्क्ष्ति कम होता है। जिससे हमारे सूक्ष्म शरीर में एक कपन उत्पत्र होकर हमारे सिूल शरीर और उसके चारों ओर के वातावरण को आवेशित कर देता है। मंत्रों की सार्थकता के बारे में कहा गया है दैवाधीन जगत्सर्व मंत्राधीनश्र देवता। अर्थात देवताओं के अधीन संपूर्ण संसार है और यह देवता मंत्रों के देवता मंत्रों के अधीन हैं कि विधि और श्रद्धा से अनुष्ठान किया जाए तो उस मंत्र से संबंधित शक्ति साधक के भीतर जागृत होती है।   कि दस छात्र गहीर नींद में सो रहे हों तो राम लाल का नाम पुकारने पर उसी की नींद टुटती है।। उसी तरह जिस देवशक्ति को पुकारा जाता है, वही शक्ति जागृत होती है। कई बार आत्म शक्ति के बल पर नए मंत्र भी प्रकट हो जाते है।


चुटकले

टीचर: पप्पू, तुम्हारी डैडी की कम करदे ने?
पप्पू: ओही जो मम्मी कहंदी है।
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स्टूडंेट टीचर से: झोपड़ी को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
टीचर: हट
स्टूडेंट: सर आप डांट क्यों रहे हैं, अगर आप को नहीं आता तो कोई बात नहीं।
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भीड़ से भरी हुई बस में संता ने आंख बंद की हुई थी
बंता संता से: तुमने आंखें क्यांे बंद की है? क्या तुम बीमार हो?
संता: बूढ़े लोग बस में खड़े रहें ये मुझे अच्छा नहीं लगता इसलिए आंख बंद कर ली है।
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'क्या बात है बड़े कमजोर लग रहे हो?'
'दो महीने से बीमार हूं। कई डाॅक्टरों को दिखा चुका हूं, किसी की समझ में नहीं आ रहा कि क्या बीमारी है।'
'ऐसा करो तुम मेरे डाॅक्टर से मिल लो।'
'क्या वह अच्छा डाॅक्टर है?'
'हां पिछले 20 साल से प्रैक्टिस कर रहा है।'
'फिर तो ना बाबा! जो 20 साल से प्रैक्टिस कर रहा है, वह क्या इलाज करेगा?'
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एक आदमी घबराया हुआ थाने पहंुचा और बोला- थानेदार जी, मैं तो लुट गया। आज सुबह जब सो कर उठा तो मेरे घर का सारा कीमती सामान गायब था। मेरे तो हाथों के तोेते उड़ गए।
- भई, कितने तोते थे? थानेदार ने पूछा।


सोनू का सपना

कहानी 


सोनू-मोनू के साथ आसमान में उड़ा जा रहा था। बादलों के बीच से गुजरते हुये वे निरंतर ऊपर चले जा रहे थे। ठंडी हवा सरसराकर उनके बगल से निकल जाती। उड़ते-उड़ते सोनू को मधुर संगीत की धीमी धुन सुनाई देने लगी। वे दोनों एक ऐसे स्थान पर उतर गये, जहां चमकीला नीला प्रकाश फैला हुआ था। वह स्थान बहुत सुदंर था। जगह-जगह इंद्रधनुषी रंग बिखरा हुआ था। श्यामल वर्ण के बादल के टुकड़े नृत्य करते से जान पड़ते थे। सोनू मोनू के साथ खड़ा एक अत्यंत सुन्दर पक्षी की ओर देख रहा था। उसने आज तक ऐसा सुंदर दृश्य नहीं देखा था। वह पक्षी अपने नीले पंखों को फैलाये हुये लाल रंग की चोंच खोले बहुत संुदर दिख रहा था। उसके मुंह से निकलती बांसुरी की सी मधुर ध्वनि सुनकर लगता था मानो वह किसी खास उद्देश्य से वृक्ष पर बैठे अपने साथियों को बुला रहा है। सामने खड़े वृक्ष के पत्ते नीलम के समान चमक रहे थे, उसमें खिले फूल सोने के समान दिखाई दे रहे थे और पेंड़ के ऊपर चार सुंदर पक्षी बैठे थे, जो मधुर ध्वनि निकाल रहे थे। आसपास ढेर सारे रंग बिरंगे फूल खिले थे, जिनके ऊपर तितलियां मंडरा रही थीं।
तभी मोनू कहती है 'सोनू, अब यही मेरी दुनिया है। ये ही मेरे साथी हेैं। मैं तुम्हें यहां इसलिए लाई हूं कि तुम देख सको कि तुम्हारी बहन कितनी खुश है। क्या तुम मुझे सदा खुश देखना पसंद नहीं करोगे? बोलो मेरे भैया, क्या तुम मुझे सदा खुश देखना पसंद करोगे?'
'सोनू, उठो ना, देखो तो दिन कितना निकल आया।' सोनू की मां उसको उठाते हुये बोली। सोनू हड़बड़ाकर बिस्तर से उठ बैठा चारों ओर आंखें फाड़-फाड़कर देखने लगा। फिर जोरों से चीख पड़ा- 'मोनू, तुम कहां हो? मुझे छोड़कर तू कहां चली गई मेरी बहना।'
सोनू की हरकत देखकर उसकी मां घबरा उठी। उसने अपने लाड़ले को बांहों में भर लिया। फिर आंखों में आंसू भरकर बोली-'तुम्हें क्या हो गया मेरे लाल? जब देखो, मोनू-मोनू पुकारते रहते हो। न ठीक से खाना खाते हो, न ठीक से सोते हो। जाने वाले कभी लौटकर नहीं आते बेटा।' यह कहते-कहते सोनू की मां भी रो पड़ी।
सोनू अब तक सामान्य हो चुका था। उसने मां को दुःखी देखा तो कहा- 'सुबह-सुबह एक सपना आ गया था मां।
नित्यकर्म से निवृत्त होकर सोनू आंगन में पड़ी कुर्सी पर गुमसुम बैठ गया। आज भी उसके दिल में खाने की इच्छा नहीं थी, परंतु मां के जोर डालने पर वह इंकार न कर सका ओर बेमन से खाने लगा।
बैठे-बैठे सोनू अतीत की यादों में खो गया। उसमें और मोनू में कितना प्यार था। उसका असली नाम सोहन था और उसकी प्यारी बहन का नाम मीना था। माता-पिता प्यार से दोनों को सोनू-मोनू कहकर पुकारते थे। मीना उससे दो वर्ष छोटी थी, जिसके कारण वे एक पल के लिए भी अलग रहना पसंद नहीं करते थे। मीना को बचपन से ही फूलों से बहुत प्यार था। अपने छोटे से आंगन में मीना ने ढेर सारे फूलों के पौधे लगा रखे थे। दोनो ंभाई-बहन पौंधों में पानी डाला करते थे। जब तितलियां उन फूलों के ऊपर मंडराया करतीं तो दोनांें बड़े प्यार से उन्हें देखा करते थे। अचानक एक दिन मीना बीमार पड़ गयी। पिताजी ने डाक्टर को दिखाया तो उसने टाइफाइड बताया और दवा दी। मीना के स्वास्थ्य में सुधार न होने पर पिताजी ने बड़े-बड़े डाक्टरों से मीना का इलाज कराया और बहुत पैसा खर्च किया, लेकिन मीना ठीक नहीं हुई और एक दिन पूरे परिवार को रोते-बिलखते छोड़कर सदा के लिये सो गई।
सोनू का रो-रोकर बुरा हाल था। कई दिन तक उससे कुछ खाया-पिया नहीं गया। जाने से पहले मीना ने अपने भाई से कहा था- 'मेरे प्यारे सोनू भैया, मैं जा रही हंू। तुम हमारे फूलों की देखभाल करना। हर फूल की मुस्कराहट में तुम मुझे हमेशा दिखोगे। 
सोचते-सोचते सोनू की आंखों में आंसू आ गये। आज मीना ने सपने में फिर वही बातें दोहराईं थी। उसने देखा कि उसके लगाये पौधे पानी के अभाव में मुरझा गये हैं। मीना की मौत के बाद किसी ने इनकी ओर ध्यान नहीं दिया था। अब न वहां तितलियों थीं और न सुंदर पक्षी। पोैधों में फूल भी नहीं खिले थे। ऐसा लगाता था, मानो मीना की मौत में ये नन्हें-नन्हें पौधे शरीर छोड़कर आंसू बहा रहे हैं। सोनू से यह सब देखा न गया। वह अपनी जगह से उठा और मन ही मन कहने लगा- 'नहीं, मैं अपनी प्यारी बहन मोनू को लौटा के ही रहूंगा। मैंने जो सपना देखा हेै उसे साकार करके रहूंगा।'
पौधों के आस-पास पड़ी सूखी पत्तियों को सोनू ने उठाकर फेंक दिया। फिर पौधों में पानी डाला। पानी पाकर पौधों में जीवन का संचार हुआ। अपने पिताजी से उसने ढेर सारे नये पौधे मंगा लिये और सबको अपने आंगन में लगा दिये।
नित्य देखभाल के कारण पौधे फिर अपनी पहली अवस्था में आ गये। फूल खिलने लगे। तितलियां आकर मंडराने लगीं। दो चार छोटे पक्षी भी आसपास चहकने लगे। सोनू के लगाये गये पौधे भी मंद-मंद मुस्कराने लगे। यह दृश्य देखकर सोनू को सपना याद आ गया। उसे लगा कि नन्हें-नन्हंे फूलों के भीतर से उसकी प्यारी बहन मीना झांक रही है और उससे कह रही है- 'आज मैं बहुत खुश हूं, मेरे भैया।' यह दृश्य देखकर सोनू की आंखों में खुशी के आंसू आ गये। उसका सपना साकार हो चुका था।


 


 


भ्रश्टाचार आज की सबसे बड़ी समस्या

भारत की संस्कृति अध्यात्म प्रधान संस्कृति है। भोगने और देखने की जीवनशैली ही ऋषियों-मुनियों की सम्पूर्ण जिन्दगी का व्याख्या सूत्र है। यही व्याख्या सूत्र जन-जन की जीवनशेैली बने, तभी व्यक्ति समस्याओं से मुक्ति पाकर सुखी और शांतिपूर्ण जीवन का आनन्द पा सकता हैै।
विलासिता व्यक्ति की न तो आवश्यकता है, न अनिवार्यता, न सुविधा हेै और न ही मनोरंजन। वह केवल भोगवृद्धि का उच्छंृखल रूप हैै। समझदार मनुष्य उसमें किसी भी सार्थक तल को नहीं देख पाता। वहां केवल अर्थ की लोलुपता और उसकी पूर्ति के साधन के सिवाय और कुछ नहीं बचता। विलासिता केवल भोग का पोषण है। इसमें काम और अहम दोनों वृत्तियां काम करती हैं।
आज का मनुष्य भ्रम में जी रहा है। जो सुख शाश्वत नहीं है, उसके पीछे मृग मरीचिका की तरह भाग रहा है। धन-दौलत, जर-जमीन कब किसके रहे हैं इस संसार में शाश्वत? परन्तु मनुष्य मान बैठा है कि सब कुछ उसके साथ ही जाने वाला है। पूरी दुनिया पर विजय की आकांक्षा पालने वाला सिकन्दर भी मौत के बाद अपने साथ कुछ लेकर नहीं गया, खाली हाथ ही गया था।
आकांक्षाएं-कामनाएं वह दीमक हैं, जो सुखी और शांतिवूर्ण जीवन को खोखला कर देती है। कामना-वासना के भंवरजाल में फंस   मन, लहलहाती इन्द्रिय विषयों की फसल पर झपट पड़ता है। आकर्षक-लुभावने विज्ञापनांे के प्रलोभनों में फंसा तथा उच्च जीवन स्तर के नाम की आड़ में व्यक्ति ढेर सारी आवश्यक वस्तुओं को चाहने लगता है, जिनका न कहीं ओर है न छोर।
मनुष्य हम दो में सिमटता, सिकुड़ता जा रहा है। फलतः मानवीय संबंध बुरी तरह से प्रभावित होकर बिखर रहे हैं, परिवार टूट रहे हैं, स्नेहिल संबंधों में दरारें पड़ रही हैं। ये सब बातें भारतीय संस्कृति के मूलभूत सिद्धान्त, सदाचार, सद्भाव, शांति, समता, समरसता को खत्म करने पर तुले हुए हैं। मनुष्य स्वभावतः कामना बहुल होता है। एक लालसा-कामना अनेक लालसाओं की जननी बनती है। मनुष्य हम दो में सिमटता, सिकुड़ता जा रहा है। फलतः मानवीय संबंध बुरी तरह से प्रभावित होकर बिखर रहे हैं, परिवार टूट रहे हैं, स्नेहिल संबंधों में दरारें पड़ रही हैं। ये सब बातें भारतीय संस्कृति के मूलभूत सिद्धान्त, सदाचार, सद्भाव, शांति, समता, समरसता को खत्म करने पर तुले हुए हैं। मनुष्य स्वभावतः कामना बहुल होता है। एक लालसा-कामना अनेक लालसाओं की जननी बनती है।
समस्याएं जीवन का अभिन्न अंग है, जिनका अंत कभी नहीं हो सकता है। एक समस्या जाती है तो दूसरी आ जाती है। यह जीवन की प्राकृतिक चक्रीय प्ऱिक्रया है। वर्तमान युग में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है, जिसे किसी प्रकार की समस्या न हो। व्यक्ति घर का स्वामी है,समाज एवं संस्था का संचालक है या किसी जनसमूह का प्रबंधक एवं व्यवस्थापक है तो उसके सामने समस्याएं आना अनिवार्य है। व्यक्ति चाहे अकेला हो या पारिवारिक, समस्याएं सभी के साथ आती हैं। सारी समस्याओं का समाधान है। अटल धैर्य के बल पर व्यक्ति को समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। व्यक्ति को इस तथ्य एवं सच्चाई को मानना होगा कि जीवन में सदैव उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। जीवन में ऐसी घटनाएं घट जाती हैं, जिनकी वह कभी कल्पना भी नहीं कर सकते, लेकिन उसको किसी अनुकूल प्रतिकूल परिस्थितियों में अपना धैर्य एवं संतुलन नहीं खोना चाहिए।  


नारी होने पर लज्जा

कहानी 


बंदरिया ने मृत बच्चे को अपनी छाती से लगा रखा था। जब वह हमारी छत से दूसरी छत पर कूदी तो भी उसने इसे एक हाथ से बड़ी सावधानीपूर्वक संभाले रखा। मैनें इसे देख आवाज लगाई- उषा, जरा जल्दी बाहर आओ। देखो। यह है मां की सच्ची ममता।
उषा ने आते ही कहा- 'ओह बलजीत!' मैंने सोचा कुछ नया बताने लगे हैं। मैं पिछले तीन दिनों से इस अद्भुत दृश्य को देख रही हंू।... मेरे देखते-देखते ही वह बच्चा बिजली के करंट से सामने वाली गली में गिरा था। बांदरी रोती-चीखती गली में कूद पड़ी। अपने बच्चे को बार-बार हिलाती-डुलाती रही किन्तु वह मर चुका था।
'तब?' बलजीत ने चकित होकर पूछा।
'तब से अब तक यह मां अपने बच्चे को छाती से लगाए हुए है। कभी-कभी उतारकर रखती तो है किन्तु लाश के पास बड़ी सावधान होकर बैठी, इसे देखती रहती है। और कहते-कहते उषा चुप हो गई।' 
'हां, हां, कहो। चुप क्यों हो गई।'
'इसी गली के उस तंग छोर में कल प्रातः एक नवजात शिशु के लावारिस पड़े होने की खबर मुझे कौशल्या दीदी ने बताई। इंसान का बच्चा गली में लावारिस... कोई भी कुत्ता, बिल्ली उसे खा सकते थे, जबकि पशुु का बच्चा मां की छाती के साथ वात्सल्य पा रहा है... मुझे अपने नारी होने पर इतनी लज्जा तथा ग्लानि हुई कि मैं ये दोनों बातें आपको बताने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाई थी।... अब आपने ही इसे देख लिया तो...।' कहते-कहते उषा रसोई घर मेें घुस गई।


घरेलू हिंसा से अब भी मुक्ति नहीं महिलाओं को

बाहर जाकर कुछ हजार रुपए कमाने वाली महिलाएं, गृहणियों से ऊपर क्यों मानी जाती हैं? ऐसा नहीं हैं कि ये महिलाएं बाहर नौकरी करके आत्मनिर्भर हैं और गष्हणियां घर में रहकर बेकार हैं। क्या मां की ममता, पत्नी का कर्तव्य, बहू के रूप में महिला का त्याग इन सब के कोई मायने नहीं? अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं को समर्पित एक दिन है। यह हर महिला के लिए गौरव का दिन है। आज भी कई घर ऐसे हैं जहां महिलाएं दिन रात काम करती हैं फिर भी घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं। सड़क पर चलते हुए छेड़छाड़ और बलात्कार की भी शिकार हो जाती हैं। यही नहीं घर में भी यौन उत्पीड़न का निशाना बनती हैं। 
सीमा की जब शादी तय हुई, तो किसी ने उसे नौकरी छोड़ने के लिए बाध्य नहीं किया पर शादी के बाद परिवार और उसके पति को उसका नौकरी करना अच्छा नहीं लगा। उस वक्त कोई भी रास्ता सीमा की समझ में नहीं आया आखिरकार उसे अपनी शादी तोड़नी पड़ी। 
रश्मि और अमित एक साथ नौकरी करते थे। शादी के बाद रष्मि ने अपना पासबुक, चेक और दूसरे कागजात अपने ससुराल वालों के हवाले कर दिया। नतीजा यह कि उसके पति के साथ-साथ ससुराल वालों ने भी उस पर हक जता लिया। रश्मि को अपने टूटे सैंडल बदलने के लिए भी ससुराल वालों की आज्ञा लेनी पड़ती थी। इससे रश्मि को मानसिक आघात लगा और उसे मायके जाना पड़ा। 
यह सब घरेलू हिंसा के कुछ उदाहरण हैं। ऐसा नहीं कि महिलाओं को सिर्फ अपने पतियों से ही परेशानी है। अकेली औरत को भी उसके माता-पिता नहीं पूछते। कारण मात्र एक ही होता है कि वह असहाय नारी है। यह सब इसलिए होता हैं क्योंकि महिलाएं सजग नहीं होतीं। लेकिन अब तस्वीर धीरे-धीरे बदल रही है। 
दरअसल, भारत के महानगरों और कस्बों में पढ़ी-लिखी महिलाएं भी घरेलू हिंसा से निपटने के लिए बने कानून 'डीवीए' (डोमेस्टिक वायलंस एक्ट) के बारे में नहीं जानतीं। अक्टूबर, 2006 में बने अधिनियम की जानकारी अब कई शहरी महिलाओं को ही नहीं, तो छोटे शहरों-कस्बों और गांव की कम पढ़ी और निरक्षर महिलाओं को क्या होगी? हालांकि महिलाओं की सुरक्षा के लिए जब यह कानून बना था तब उम्मीद जगी थी कि घरेलू हिंसा से महिलाओं को मुक्ति मिलेगी। क्योंकि यह अधिनियम उन महिलाओं के लिए खास-तौर से बना था जो पति या ससुराल वालों से मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित होती हैं। 
पहले जहां पुरुषों से प्रताड़ित महिलाएं भारतीय दंड सहिता की धारा 498 'ए' पर केस कर अपने लिए तलाक और इंसाफ मांगती थी। वहीं आज डीवीए एक्ट के आने के बाद महिलाएं किसी भी तरह की घरेलू हिंसा के खिलाफ केस कर सकती हैं। न सिर्फ शादी-शुदा बल्कि कोई भी महिला। घरेलू हिंसा को पारिभाषित करता यह एक ऐसा कानून है जिसमें किसी भी तरह की प्रताड़ना जैसे धमकी देना, गाली देना, शारीरिक व मानसिक चोट पहुंचना, आर्थिक सहायता न देना या जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाना तक सभी शामिल हैं। सरकार ने अधिकारी भी तैनात किए हैं जो इस हिंसा की छानबीन करते हैं। वे घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं और बच्चों की मदद करते हैं। 
घरेलू हिंसा जैसे अपराध चाहे वह पति करे या कोई और, महिलाओं को जबरदस्त मानसिक आघात देता है जिससे वह जीवन भर एक डर या खौफ में जीती हैं। ऐसे हालात से उबर पाना काफी मुश्किल होता है। कई मामलों में तो महिलाओं का नर्वस ब्रेकडाउन हो जाता है या उन्हें हार्ट-अटैक भी हो जाता है। आम महिला पूरी तरह अपने पति पर निर्भर होती है जबकि कई मामलों में पति उसे अपनी जायदाद समझने लगता है। वह उसके लिए मनोरंजन का साधन होती है और चुपचाप हिंसा को सहती जाती है। 
इस देश में हर व्यक्ति को चाहे वह महिला हो या पुरुष, उसे पूरी गरिमा और स्वाभिमान से जीने का अधिकार है। दुर्भाग्यवश लंबे समय से महिलाओं को पुरुषों जैसे अधिकार नहीं मिले। कई एनजीओ महिलाओं को उनका अपना हक दिलाने की कोशिश में लगे हैं। वे महिलाओं की अंदर की शक्ति को उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं ताकि वे अपने अधिकार जान पाएं। हर तीन में से एक महिला बंद दरवाजे के पीछे घरेलू हिंसा का शिकार होती है। अपने अंदर की नारी शक्ति को पहचानिए और इस महिला दिवस पर घरेलू हिंसा के खिलाफ बोलने की ठान लीजिए। 


चुटकले

-एक बच्चा आम के पेड़ पर चढ़कर आम तोड़ रहा था। माली ने देख लिया और कहा, 'अभी तेरे बाप से षिकायत करता हूं।' बच्चा बोला, 'वह घर पर नहीं मिलेंगे। बाजू के पेड़ पर आम तोड़ रहे हैं।'
   



-कपड़े का व्यापारी सो रहा था। उसने सपने में देखा कि एक ग्राहक कपड़ा मांग रहा है और वह नाप रहा है। अनायास नींद में उसका हाथ चादर पर पड़ गया। वह उसे फाड़ने लगा। यह देखकर उसकी पत्नी चिल्लाईः यह क्या कर रहे हो? व्यापारी नींद में ही चिल्लायाः कमबख्त, दुकान में भी मेरा पीछा नहीं छोड़ती।
 



-पत्नी घबराकर ड्राइवर पति से कहा- मोड़ पर तुम जब भी कार घुमाते हो, मुझे बहुत डर लगता है। पति ने कहा- डरती क्यों हो? जब कार मुड़े तो तुम भी मेरी तरह आंखे बंद कर लिया करो।
   



-पिता ने पुत्र से कहा- परीक्षा निकट हैं तुम्हंे पूरी रात पढ़ना चाहिए। बेटा करवटें बदलता हुए कहता है- लेकिन आप तो कहते हैं कि रात को उल्लू जागा करते हैं।
    



-एक आदमी का आॅपरेषन करके उसे बंदर का दिल लगा दिया गया। कुछ सप्ताह बाद डाॅक्टर ने फोन करके उसकी बीवी से मरीज के बारे में पूछा- कोई परेषानी तो नहीं है? बीवी ने खुष होकर बोली- जी नहीं, वह दिन भर छत पर बैठे पीठ खुजलाते रहते हैं।


राजनैतिक हथियार बन गया है आरक्षण


देश तथा जनता के काम आने वाली नीति 'राजनीति' कहलाती हैै। जब उसका उपयोग व्यक्ति, जाति अथवा दल विशेष के लिए होने लगता है तो वह अनीति बन जाती है। आरक्षण समस्या ऐसी ही जातिगत-दलगत रानीति का दुष्परिणाम है।
संविधान में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित  जनजातियों के लिए लोकसभा व राज्य विधानसभाओं के लिए कुछ स्थान आरक्षित रखने की व्यवस्था की गई थी। साथ ही सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से कुछ पिछड़े नागरिकों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। यह व्यवस्था दस वर्षों के लिए की गई थी। संविधान में केन्द्र तथा राज्य की सरकारों का प्रति पांच वर्ष बाद नवीनीकरण (आम चुनाव) का भी प्रावधान रखा गया था। इस पंचवर्षीय सत्ता-नवीनीकरण के आधार पर ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने पंचवर्षीय योजना की शुरुआत की थी। देश की स्वतंत्रता में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का महत्वपूर्ण योगदान रहा था। वही एकमात्र सबसे बड़ा राजनैतिक दल था। एक-दो अंतरालों को छोड़कर तभी से देश में इसी दल का शासन रहा है, जोकि वर्तमान में भी है।
कांग्रेस ने आरक्षण व्यवस्था का उपयोग अपने ही दल की सत्ता कायम रखने के लिए करना प्रारंभ किया, उसे अनुसूचित जातियों ें तथा अनुसूचित जनजातियों के एकमुश्त वोट प्राप्त करने के लिए हथियार की तरह काम में लिया। कांग्रेस ने इन जातियों के कुछ प्रभावशाली मुखियाओं को अपने दल में शामिल कर उन्हें सत्ता में भागीदार बनाकर उन्हें अपनी जाति का घोषित क्षत्रप (नेता) बना दिया। आरक्षण व्यवस्था का लाभ इन्हीं क्षत्रपों की संतानों, करीबी रिश्तेदारों तथा उनके कृपा पात्रों को ही दिया जाने लगा। निरन्तर सत्तासीन होते रहने के लिए आरक्षण की समय-सीमा को भी उत्तरोत्तर आगामी दस वर्षों के लिए बढ़ाया जाता रहा है। इसकी सहायता से कांग्रेस लगातार सत्ता-सुख भोगती रही।
पण्डित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद जब उनकी पुत्री इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं तो कांग्रेस पार्टी के भीतर असंतोष मुखर होने लगा। वंशवाद की राजनीति के विरोध में कई प्रमुख क्षेत्रीय नेताओं ने कांग्रेस छोड़ दी तथा अपने गृह राज्यों में क्षेत्रीय दलों का गठन कर कांग्रेस से राज्यों की सत्ता छीननी प्रारंभ कर दी। इन क्षेत्रीय नेताओं ने भी आरक्षण व्यवथा का उपयोग अपने दल की सत्ता स्थापित करने में शुरू कर दिया। अपने-अपने राज्य की बहुसंख्यक जनता को आरक्षण व्यवस्था का लाभ दिया जाने लगा। सत्ता बंदरबांट मंे हर प्रदेश में नये-नये क्षत्रपों का उदय हुआ, जिसे जब भी अवसर मिला उसने अपने समर्थकों को आरक्षण व्यवस्था के दायरे में शामिल कर लिया, जिससे आरक्षण व्यवस्था में भी कई वर्ग तथा उपवर्ग बन गये।
राजस्थान मंे गुर्जर जाति द्वारा अपने वर्ग को अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल करने की मांग को लेकर किया गया आन्दोलन राजस्थान की भाजपा सरकार की ऐसी ही अनीति का परिणाम था। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसंुधरा राजे ने गुर्जर जाति के एकमुश्त वोट पाने के लिए उनके कतिपय नेताओं से गुर्जर जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करवाने का मौखिक वादा किया था। फलस्वरूप राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई। सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री ने गुर्जरों के साथ किये गये अपने वादे को भुला दिया। राजस्थान में पहली बार का गुर्जन आंदोलन सरकार की इसी अदूरदर्शिता का परिणाम था। इस आंदोलन ने पैंसठ से भी अधिक लोगों की जान ले ली, जिनमें ऐसे लोग भी शामिल थे, जिनका आरक्षण से कोई लेना-देना नहीं था। कई पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी निभाते हुए मारे गए। अरबों रूपयों की सार्वजनिक  संपत्ति आग के हवाले कर दी गई। सर्वाधिक नुकसान आम आदमी को उठाना पड़ा । रेल, सड़क मार्ग बन्द होने से सारा जनजीवन 20 से 25 दिनों तक थम गया। परीक्षा देने, इंटरव्यू देने, नौकरी ज्वाइन करने वाले सैकड़ों विद्यार्थियों का भविष्य चैपट हो गया। अनेक लोगों को खाने की वस्तुएं तथा पीने के लिए पानी उपलब्ध नहीं हुआ। कइयों की जेबें खाली हो गईं। रास्ते में अटके मरीज चिकित्सा सुविधाओं के अभाव मंे तड़पते रहे। आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई बन्द हो जाने से शहरी परिवारों का बजट भार बढ़ गया।
इन सबका जिम्मेदार कौन है? राज्य सरकार या गुर्जर समुदाय। इस सारे घटनाक्रम में गलती दोनों तरफ से ही हुई है। गुर्जर नेता चार साल तक चुप क्यांें बैठे रहे? यदि सरकार अपने स्तर पर वादा पूरा करने की स्थिति में नहीं थी तो उसे गुर्जर नेतओं को बुलाकर सरकार की कानूनी विवशताएं बतानी चाहिए थीं तथा उसका विकल्प ढंूढना चाहिए था। गुर्जर जाति के विकास के लिए जिस विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा सरकार ने की, उसे बहुत पहले ही विकल्प के रूम में किया जा सकता था। बहुत संभव था गुर्जर समाज उसे मान लेता। आम चुनावों से एक साल पूर्व किये इस आन्दोलन ने निष्क्रिय पड़े अन्य राजनैतिक दलों  को भी एकाएक सक्रिय कर दिया। जिन्होंने बजाय इस समस्या को सुलझाने के उल्टे आग में घी डालना शुरू कर दिया।
इस पूरे विवाद में सर्वाधिक चूक उन गुर्जर नेताओं की रही है, जो मंत्री स्तर की सुविधा भोगते रहे हैं। ये नेता अपने समाज तथा नवयुवकों को यह समझाने में विफल रहे कि विकास की हर राह स्कूल से होकर गुजरती है। केवल आरक्षण वर्ग में शामिल होने मात्र से कोई जाति उन्नति नहीं कर सकती। वर्तमान शिक्षा सेटअप में विकास का प्रवेश द्वार 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद  ही खुलता है तथा आरक्षण का जिन्न तभी मदद के लिए प्रकट होता है। आरक्षण वर्ग में शामिल अन्य जातियों ने इस पर अमल  करके ही उन्नति की है, भले ही उनका वर्ग कैसा भी रहा हो। हजारों सवर्ण नवयुवक इस तथ्य की अनदेखी करने के कारण ही आरक्षित जातियों से पिछड़ें हुए हैं। ”मां सरस्वती की कृपा के बिना लक्ष्मी की प्राप्ति संभव नहीं है।“ यह सभी जातियों को समझना पड़ेगा।
बाद में वसुंधरा सरकार का पतन हो गया। कांग्रेस सत्ता में आई, पर न्यायालय के कारण वह भी गुर्जरों की मांग की पूर्ति नहीं कर पाई। नतीजे में गुर्जर फिर आंदोलन पर उतारू हो गए। उन्होंने रेल और सड़क मार्ग अवरूद्ध कर दिया। तोड़फोड़ तो हुई पर कोई जनहानि नहीं हुई। फिलहाल यह आंदोलन थम गया है। आग पूरी तरह बुझी नहीं है। केवल भभकना शांत हुआ है। जो लावा अन्दर ही अन्दर इकट्ठा हो रहा है, वह कब, किस रूप में फूट पडे़ तथा इसकी चपेट में अन्य राज्य भी आ जायें, इसकी कोई गारंटी नहीं।
आरक्षण देशव्यापी समस्या है। इसका स्थायी समाधान केन्द्र तथा राज्य सरकारों को मिलकर ढूंढना होगा। इसके लिए केन्द्र सरकार को सब दलों, जातियों तथा धर्म आचार्योंं, समाज शास्त्रियों, शि़क्षकों का वृहत सम्मेलन बुलाकर इस समस्या पर गंभीर विचार-विमर्श करना होगा। आरक्षण समस्या शिक्षा एवं रोजगार से जुड़ी है। इसका हल भी शिक्षा जगत से ही ढंूढना होगा। इसके लिए केन्द्रीय सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय को देश के सारे विश्वविद्यालय तथा उनसे जुड़े कालेजों (महाविद्यालयों) तथा अन्य सभी निजी काॅलेजों के विद्याािर्थयों से एक विस्तृत प्रश्नावली के रूप में उनकी राय मांगनी चाहिए।
उपर्युक्त सभी तरीकों से प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर इस समस्या का सदा के लिए समाधान संभव है, तभी देश को ऐसे आन्दोलनों से मुक्ति मिल पायेगी।


कैंसर की रोक, मशरूम भोजन

अब मशरूम का उपयोग कैंसर जैसी असाध्य बीमारी की रोकथाम में भी किया जा सकेगा। आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने मशरूम की ऐसी किस्म की खोज की है जो सामान्य मशरूम के मुकाबले ज्यादा औषधीय गुणों से युक्त है और इसके सेवन से कैंसर जैसी घातक बीमारियांे पर आसानी से लगाम लगाई जा सकेगी। औषधीय महत्व की इस मशरूम प्रजाति को मंकी हेड का नाम दिया गया है।
आईसीएआर के खुम्ब अनुसंधान निदेशालय, सोलन के निर्देशक डाॅ. मनजीत ंिसंह ने बताया कि औषधीय गुणों से भरपूर मंकी हेड मशरूम की प्रजाति लगभग लुप्त हो चुकी थी। वैज्ञानिकों ने अथक प्रयासों से न सिर्फ इस प्रजाति को खोज निकाला बल्कि इसे विकसित करने में भी सफलता प्राप्त कर ली है। हिमाचल प्रदेश मंे सर्वेक्षण के दौरान मशरूम फुट बाॅडी से टिश्यू कल्चर के जरिए इस नई प्रजाति का विकास किया गया है। शोध और अनुसंधान से यह तथ्य सामने आया है कि इस मशरूम के सेवन से अनेक प्रकार के कैंसर की रोकथाम संभव है। फिलहाल इस प्रजाति को बड़े स्तर पर विकसित किया जा रहा है ताकि इसका व्यवसायीकरण किया जा सके। अभी भारत सहित दुनियाभर में लकड़ी के बुरादे, गन्नें की खोई, कपास बीज के छिलके या धान के तने आदि की खाद का इस्तेमाल कर मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने गुलाबी रंग के सीप ओएस्टर नाम की एक अन्य प्रजाति की मशरूम का भी विकास किया है। इसे टनल पास्चरीकृत तकनीक से तैयार किया गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक मशरूम का ज्यादातर इस्तेमाल सब्जी के रूप में किया  जा रहा है। इसमें विटामिन बी.12, फोलिक एसिड और विटामिन डी जैसे पोषक तत्वों के अलावा रेशेदार तत्व और पोटेशियम भी मौजूद हैं। कम कैलोरी वाली यह सब्जी चिकनाई युक्त है। 


खतरनाक छिपकली है कोमडो ड्रैगन

छिपकली का नाम सुनते ही हम किसी दीवार पर लाइट के आसपास उसके होने की उम्मीद करते हैं पर, यहां हम ऐसी छिपकली के बारे में बताने जा रहे हैं जो न सिर्फ जमीन पर दौड़ते हुए हिरण अथवा सूअर जितने बड़े जानवर को आसानी से अपना शिकार बनाने माहिर है बल्कि पेड़ोें पर चढ़कर पक्षियों को भी चट कर जाती है। जी हां, इंडोनेशिया के पूर्वी द्वीपों कोमोडो, रिंका और पडार में पाई जाने वाली कोमोडो डैªगन एक ऐसी ही छिपकली हैै। इसका वजन 70 से 95 किलोग्राम तक होता है। प्रतिघंटा 15 किलोमीटर तक दौड़ने के अलावा यह पानी में तैरना भी जानती है। मादा कोमोडो डैªगन एक बार में तीस तक अंडे देती है जिनसे बच्चे निकलने में आठ महीने का समय लगता है, पैदा होते समय इसके बच्चों की लंबाई 50 सेमी. तक होती है, जबकि वयस्क होने तक इसकी लंबाई 2 से 3 मीटर तक हो जाती है, यह छिपकली की सबसे विशाल प्रजाति है।
कोमोडो डैªगन स्वयं तो निराली है ही साथ ही इसके शिकार का अंदाज भी अनोखा है, सामान्यतः जानवर अपने पैरों से अथवा मुंह से शिकार को पकड़ते हैं पर कोमोडो डैªगन अपना शिकार पूंछ से करती है। यह अकेले ही अपने भोजन पर हाथ साफ करना पसंद करती है। इसके भोजन की मात्रा भी गजब की है, अपने वजन के बराबर भोजन को यह आसानी से पचा सकती है यानि लगभग 100 किलो तक भोजन इसकी डाईट में शामिल है। यह भैंस अथवा इंसान तक को खा सकती हैै। भोजन में यह सड़ा हुआ मांस, पक्षी, पक्षियों के अंडे या किसी निरीह कमजोर जानवर को खाने का मौका नहीं चूकती, ये इसके पसंदीदा भोजन हैं। भोजन को सूंघने की क्षमता भी इतनी कि आठ किलोमीटर दूरी पर यदि सड़ा मांस पड़ा हो तो इसे पता चल जाता है। इसके तीखे दांत और मजबूत जबड़े भोजन को आसानी से चबाने की क्षमता रखते हैं। इसका मुंह इतने विशैले बैक्टेरियाओं से भरा होता है कि यदि कोई जानवर इसके हमला करने के बाद छूट कर भाग भी निकले तो 24 घंटे के अंदर ब्लड इन्फेक्शन से उसकी मौत हो सकती है। यह 300 मीटर की दूरी तक देख सकने की क्षमता रखती है। 
सामने आने पर इंसान की रूह को कंपाने की क्षमता रखती है कोमोडो डैªगन। इसका साईंटिफिक नाम वारनस कोमोडोएनसिस है, इसे ओरा के नाम से भी जाना जाता है। यह एक तरह की गोह है। वर्तमान में इनकी संख्या बहुत ही कम लगभग 4000 तक ही रह गई है।


मकर संक्रांति पर्व को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है

मकर संक्रांति पर्व को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्य उत्तर की अ¨र बढ़ने लगता है जो ठंड के घटने का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं जो मकर राषि के शासक थे। पिता अ©र पुत्र आम तौर पर अच्छी तरह नहीं मिल पाते इसलिए भगवान सूर्य महीने के इस दिन को अपने पुत्र से मिलने का एक मौका बनाते हैं। जाड़े के मौसम के समापन अ©र फसलों की कटाई की शुरुआत का प्रतीक समझे जाने वाले मकर संक्रांति पर्व को देष भर में धूमधाम से मनाया जाता है और इस अवसर पर लाखों लोग देष भर में पवित्र नदियों में स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं। देष के विभिन्न भागों में तो लोग इस दिन कड़ाके की ठंड के बावजूद रात के अंधेरे में ही नदियों में स्नानश्षुरू कर देते हैं। इस पावन अवसर पर श्रद्धालु इलाहाबाद के त्रिवेणी संगम, वाराणसी में गंगाघाट, हरिय्ााणा में कुरुक्षेत्र, राजस्थान में पुष्कर और महाराष्ट्र के नासिक में ग¨दावरी नदी में स्नान करते हैं।
मकर संक्रांति पर्व देष के विभिन्न भागों में अलग अलग नामों से भी मनाया जाता है। जहां उत्तर और मध्य भारत में इसे मकर संक्रांति कहते हैं वहीं आंध्र प्रदेष, कर्नाटक और केरल में इस पर्व को सिर्फ संक्रांति कहते हैं तो तमिलनाडु में इस पर्व को पोंगल कहा जाता है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना पुण्यकारी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन खिचड़ी का दान देना विषेष रूप से फलदायी होता है। देष के विभिन्न मंदिरों को इस दिन विषेष रूप से सजाया जाता है और इसी दिन से शुभ कार्यों पर लगा प्रतिबंध भी खत्म हो जाता है। 
इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनकर मंदिरों में जाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। इस पर्व पर इलाहाबाद में लगने वाला माघ मेला और कोलकाता में गंगासागर के तट पर लगने वाला मेला काफी प्रसिद्ध है। अयोध्या में भी इस पर्व की खूब धूम रहती है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र सरयू में डुबकी लगाकर रामलला, हनुमानगढ़ी में हनुमानलला तथा कनक भवन में मां जानकी की पूजा अर्चना करते हैं। हरिद्वार में भी इस दौरान मेला लगता है जिसमें श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रय्ााग एवं गंगासागर में स्नान क¨ महास्नान की संज्ञा दी गई है। 
इस पर्व की छटा देष के विभिन्न हिस्सों में अलग अलग रूप में देखने को मिलती है। जहां समूचे उत्तर प्रदेष में इस पर्व क¨ खिचड़ी के नाम से जाना जाता है तथा इस दिन खिचड़ी सेवन एवं खिचड़ी दान का अत्य्ाधिक महत्व ह¨ता है वहीं महाराष्ट्र में इस दिन सभी विवाहित महिलाएं अपनी पहली संक्रांति पर कपास, तेल, नमक आदि वस्तुएं अन्य्ा सुहागिन महिलाअ¨ं क¨ दान करती हैं। तमिलनाडु में इस त्य्ा¨हार क¨ प¨ंगल के रूप में चार दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन कूड़ा करकट जलाय्ाा जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है अ©र तीसरे दिन पषु धन की पूजा की जाती है। प¨ंगल मनाने के लिए स्नान करके खुले आंगन में मिट्टी के बर्तन में खीर बनाई जाती है, जिसे प¨ंगल कहते हैं। इसके बाद सूयर््ा देव क¨ नैवैद्य चढ़ाकर खीर क¨ प्रसाद के रूप में सभी ग्रहण करते हैं। असम में मकर संक्रांति क¨ माघ-बिहू अथवा भ¨गाली-बिहू के नाम से मनाया जाता है तो राजस्थान में इस पर्व पर सुहागन महिलाएं अपनी सास क¨ वाय्ाना देकर आषीर्वाद प्राप्त करती हैं। मान्यता है कि महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्य्ाागने के लिए मकर संक्रांति का ही चय्ान किय्ाा था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से ह¨कर सागर में जा मिली थीं।


Limiting the Gandhi Family's Role

India's political system is democratic, with no constitutional bar on family involvement in politics. However, the Gandhi family's d...