इस्लामिक आक्रमणों का ऐतिहासिक विश्लेषण: डॉ उमेश शर्मा
1. *प्रारंभिक इस्लामी आक्रमण (7वीं - 10वीं सदी)*
• मुहम्मद बिन कासिम का सिंध पर आक्रमण (712 ई.) पहला संगठित इस्लामी आक्रमण माना जाता है।
उद्देश्य था राजनीतिक विस्तार और व्यापारिक मार्गों पर नियंत्रण।
• धार्मिक तत्व भी थे, लेकिन तत्काल प्रभाव सीमित क्षेत्र तक रहा।
2. *तुर्क और अफगान आक्रमणकारी (11वीं - 13वीं सदी)*
• महमूद ग़ज़नवी (सन् 1000-1027 के बीच कई बार भारत आया) ने सोमनाथ जैसे कई मंदिरों पर आक्रमण किया।
• उसका उद्देश्य लूट और धार्मिक विजय दोनों था।
• मोहम्मद गोरी और फिर दिल्ली सल्तनत की स्थापना ने भारत में इस्लामी शासन की नींव रखी।
3. *दिल्ली सल्तनत और मुग़ल काल (1206 - 1857)*
• दिल्ली सल्तनत के शासकों में कई कट्टर शासक थे जिन्होंने मंदिर तोड़े और जबरन धर्मांतरण करवाए, जैसे कि अलाउद्दीन खिलजी या फिर मुहम्मद बिन तुगलक।
• मुग़लों में नीति अधिक जटिल रही — बाबर और औरंगज़ेब जैसे शासक धार्मिक कट्टरता के लिए जाने जाते हैं, जबकि अकबर ने तुलनात्मक रूप से धार्मिक सहिष्णुता दिखाई।
4. *हिंदू समाज पर प्रभाव*
• मंदिरों का विध्वंस: धार्मिक स्थलों को राजनीतिक शक्ति के प्रतीक के रूप में देखा गया, और इसलिए कई मंदिरों को नष्ट किया गया।
• जज़िया कर: गैर-मुसलमानों पर लगाया गया विशेष कर।
• धर्मांतरण: कई मामलों में बलपूर्वक, लेकिन कई बार आर्थिक, सामाजिक या राजनीतिक लाभ के लिए भी धर्मांतरण हुए।
• सांस्कृतिक प्रभाव: इस्लामी शासनकाल में स्थापत्य कला, संगीत, भाषा (उर्दू का विकास), और खानपान पर प्रभाव पड़ा।
5. *धर्मांतरण के कारण*
• तलवार के ज़ोर पर (विशेष रूप से सीमांत क्षेत्रों में)।
• सामाजिक बहिष्कार से बचने के लिए (नीच जातियों में धर्मांतरण अधिक देखा गया)।
• प्रशासनिक पद या जमीन पाने के लिए।
• सूफी प्रभाव — जिसने आत्मीय और व्यक्तिगत भक्ति का मार्ग दिखाया।
टिप्पणियाँ