नहीं रहे हास्य व्यंग्य कवि डॉक्टर जगदीश

बहराइच। हास्य कवि काका हाथरसी की नगरी हाथरस इस कार्य को आसान बनाने में अग्रणी रहे हैं। इस कड़ी के नायक नगीना डॉक्टर जगदीश लवानिया भी थे। जो शुक्रवार को इस दुनिया को अलविदा कह हास्य की फुलझड़ी छोड़ने पारलौकिक दुनिया की और चले गए। 10 जुलाई 1945 को अलीगढ़ जिले के 600 गांव में जन्मे कवि डॉ. लवानिया बीते कई महीने से बेटे प्रगल्भ के साथ बहराइच में रह रहे थे।  प्रगल्भ जिला आबकारी अधिकारी के पद पर यहां तैनात है। डॉक्टर लवानिया ने हिंदी काव्य मंच ऊपर चार दशक तक अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने उन्हें वर्ष 1987 में श्रीधर पाठक पुरस्कार से नवाजा भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने वर्ष 1994 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार से सम्मानित किया था। 

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