श्री शारदा सर्वज्ञ पीठम

🚩जय सत्य सनातन🚩

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२२ 

🌥️ 🚩सप्तर्षि संवत-५०९६⛅🚩विक्रम संवत-२०७७

⛅ 🚩तिथि - नवमी सुबह 08:13 तक तत्पश्चात दशमी


⛅ * 06 फरवरी 2021*

⛅ दिन - शनिवार

⛅ शक संवत - 1942

⛅ अयन - उत्तरायण

⛅ ऋतु - शिशिर

⛅ मास - माघ

⛅ पक्ष - कृष्ण 

⛅ नक्षत्र - अनुराधा शाम 05:18 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा

⛅ योग - ध्रुव शाम 04:38 तक तत्पश्चात व्याघात

⛅ राहुकाल - सुबह 10:03 से सुबह 11:28 तक

⛅ सूर्योदय - 07:15 

⛅ सूर्यास्त - 18:30 

⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में

⛅ व्रत पर्व विवरण - दशमी क्षय तिथि

 💥 विशेष - नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)


🌷 एकादशी व्रत के लाभ 🌷

➡ 07 फरवरी 2021 रविवार को प्रातः 06:27 से 08 फरवरी, सोमवार को प्रातः 04:47 तक एकादशी हैं (यानी 07 फरवरी रविवार को षटतिला एकादशी स्मार्त एवं 08 फरवरी सोमवार को षटतिला एकादशी भागवत)

💥 विशेष - 08 फरवरी, सोमवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।

🌺 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।

🌺 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।

🌺 जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।

🚩 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।

🌺 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।

🌺 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।

🌺 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी  ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।

 

🌷 निरापद पद की प्राप्ति में सहायक व्रत 🌷

➡ (षट्तिला एकादशी : 08 फरवरी )

🚩 धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान् श्रीकृष्ण से पूछा : “देव ! माघ  मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का माहात्म्य मैं जानना चाहता हूँ |”

🚩 भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं : “यह एकादशी ‘षट्तिला’ के नाम से विख्यात है | पुलस्त्य ऋषि ने दाल्भ्य ऋषि से इसके माहात्म्य का वर्णन किया था | इस एकादशी का व्रत पापों का शमन  करता है | जीव को निरापद पद की प्राप्ति के लिए षट्तिला एकादशी का व्रत करना चाहिए, सर्वव्यापक भगवान हरि का पूजन करना चाहिए | काम=क्रोध आदि से लिप्त नीच कर्मों और अति भाषण का त्याग करके मौन का अवलम्बन लेना चाहिए और भगवत्सुमिरन बढ़ाकर भगवदरस लेते हुए रात्रि का जागरण करना चाहिए | (रात्रि में १२ बजे तक का जागरण ) ”

👉🏻 इस दिन तिलों का ६ जगह उपयोग कर लेना चाहिए –

➡ १] तिल, आँवला आदि मिलाकर बना उबटन लगाना |

➡ २] जल में तिल डालकर स्नान करना |

➡ ३] पीनेवाले जल में तिल डाल के पानी पीना |

➡ ४] भोजन में तिल का उपयोग करना |

➡ ५] तिल का दान करना और

➡ ६] हवन-यज्ञ में तिल का उपयोग करना |

💥 तिल हितकारी हैं परन्तु रात्रि में तिल-मिश्रित पदार्थ का सेवन हानि करता है | दही और तिल रात्रि को नहीं खाने चाहिए | जो षट्तिला एकादशी का उपवास करते हैं वे भी तिल-शक्कर की चिक्की अथवा लड्डू खा सकते हैं |


🌷 एकादशी के दिन करने योग्य 🌷

 एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें .......विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l

🌷 एकादशी के दिन ये सावधानी रहे 🌷

🚩 महीने में १५-१५ दिन में  एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो चावल खाता है... तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है...ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा

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