प्रशांत भूषण का सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने से इनकार

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक दो ट्वीट के लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने से सोमवार को इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इनमें उन्होंने अपने उन विचारों को व्यक्त किया है जिन पर वह हमेशा विश्वास करते हैं। आज सुप्रीम कोर्ट उनकी सजा पर फैसला कर सकता है। उन्हें माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया गया था।


दो ट्वीट के लिए अवमानना के दोषी ठहराए गए
प्रशांत भूषण ने अवमानना के मामले में दाखिल अपने पूरक बयान में कहा कि पाखंडपूर्ण क्षमा याचना मेरी अंतरात्मा और एक संस्थान के अपमान समान होगा। शीर्ष अदालत ने प्रशांत भूषण को इन दो ट्वीट के लिए न्यायालय की आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया है।
प्रशांत भूषण ने कहा कि अदालत के अधिकारी के रूप में उनका मानना है कि जब भी उन्हें लगता है कि यह संस्था अपने स्वर्णिम रिकार्ड से भटक रही है तो इस बारे में आवाज उठाना उनका कर्तव्य है।


भूषण ने कहा, इसलिए, मैंने अपने विचार अच्छी भावना में व्यक्त किए, न कि सुप्रीम कोर्ट या किसी प्रधान न्यायाधीश विशेष को बदनाम करने के लिए, बल्कि रचनात्मक आलोचना पेश करने के लिए ताकि संविधान के अभिभावक और जनता के अधिकारों के रक्षक के रूप में अपनी दीर्घकालीन भूमिका से इसे किसी भटकाव से रोका जा सके। 


उन्होंने कहा, मेरे ट्वीट इस सदाशयता के विश्वास का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हें मैं हमेशा अपनाता हूं। इन आस्थाओं के बारे में सार्वजनिक अभिव्यक्ति एक नागरिक के रूप में उच्च दायित्वों और इस न्यायालय के बफादार अधिकारी के अनुरूप है। इसलिए इन विचारों की अभिव्यक्ति के लिये सशर्त या बिना शर्त क्षमा याचना करना पाखंड होगा। 


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