जय सत्य सनातन
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युगाब्द-५१२५*
युगाब्द-५१२५**
विक्रम संवत-२०८०*
विक्रम संवत-२०८०**
तिथि - षष्ठी दोपहर 02:14 तक तत्पश्चात सप्तमी*
तिथि - षष्ठी दोपहर 02:14 तक तत्पश्चात सप्तमी**
दिनांक - 21 सितम्बर 2023*
दिनांक - 21 सितम्बर 2023**
दिन - गुरुवार*
दिन - गुरुवार**
शक संवत् - 1945*
शक संवत् - 1945**
अयन - दक्षिणायन*
अयन - दक्षिणायन**
ऋतु - शरद*
ऋतु - शरद**
मास - भाद्रपद*
मास - भाद्रपद**
पक्ष - शुक्ल*
पक्ष - शुक्ल**
नक्षत्र - अनुराधा दोपहर 03:35 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा*
नक्षत्र - अनुराधा दोपहर 03:35 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा**
योग - प्रीति रात्रि 01:45 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
योग - प्रीति रात्रि 01:45 तक तत्पश्चात आयुष्मान**
राहु काल - दोपहर 02:04 से 03:35 तक*
राहु काल - दोपहर 02:04 से 03:35 तक**
सूर्योदय - 06:28*
सूर्योदय - 06:28**
सूर्यास्त - 06:38*
सूर्यास्त - 06:38**
दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
दिशा शूल - दक्षिण दिशा में**
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:53 से 05:41 तक*
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:53 से 05:41 तक**
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:09 से 12:57 तक*
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:09 से 12:57 तक**
व्रत पर्व विवरण - सूर्य षष्ठी, गौरी-आवाहन*
व्रत पर्व विवरण - सूर्य षष्ठी, गौरी-आवाहन**
विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)**
अदरक व सोंठ
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अदरक व सोंठ
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यह तीखी, उष्ण, कफ-वातशामक एवं जठराग्निवर्धक है । यह जुकाम, खाँसी, श्वास, मंदाग्नि आदि वर्षा ऋतुजन्य अनेक तकलीफों में लाभदायी व हृदय की क्रियाशक्ति को बढ़ानेवाली है ।*
यह तीखी, उष्ण, कफ-वातशामक एवं जठराग्निवर्धक है । यह जुकाम, खाँसी, श्वास, मंदाग्नि आदि वर्षा ऋतुजन्य अनेक तकलीफों में लाभदायी व हृदय की क्रियाशक्ति को बढ़ानेवाली है ।* *
औषधि-प्रयोग
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औषधि-प्रयोग
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(१) दूध में १-२ चुटकी सोंठ मिलाकर पीना हृदय के लिए बलदायी है अथवा तज का छोटा टुकड़ा डालकर उबाला हुआ दूध पी जायें (तज का टुकड़ा खाना नहीं है) ।*
(१) दूध में १-२ चुटकी सोंठ मिलाकर पीना हृदय के लिए बलदायी है अथवा तज का छोटा टुकड़ा डालकर उबाला हुआ दूध पी जायें (तज का टुकड़ा खाना नहीं है) ।**
(२) ताजी छाछ में चुटकीभर सोंठ, सेंधा नमक व काली मिर्च मिलाकर पीने से आँव, मरोड़ तथा दस्त दूर होकर भोजन में रुचि बढ़ती है ।*
(२) ताजी छाछ में चुटकीभर सोंठ, सेंधा नमक व काली मिर्च मिलाकर पीने से आँव, मरोड़ तथा दस्त दूर होकर भोजन में रुचि बढ़ती है ।**
(३) १० मि.ली. अदरक के रस में १ चम्मच घी मिलाकर पीने से पीठ, कमर व जाँघ के दर्द में राहत मिलती है ।*
(३) १० मि.ली. अदरक के रस में १ चम्मच घी मिलाकर पीने से पीठ, कमर व जाँघ के दर्द में राहत मिलती है ।**
(४) अदरक के रस में सेंधा नमक या हींग मिलाकर मालिश करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है ।*
(४) अदरक के रस में सेंधा नमक या हींग मिलाकर मालिश करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है ।**
परम उन्नतिकारक श्रीकृष्ण-उद्धव प्रश्नोत्तरी
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परम उन्नतिकारक श्रीकृष्ण-उद्धव प्रश्नोत्तरी
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उद्धवजी भगवान श्रीकृष्ण से पूछते हैं: "दरिद्र कौन है ?"*
उद्धवजी भगवान श्रीकृष्ण से पूछते हैं: "दरिद्र कौन है ?"**
श्रीकृष्ण : 'जिसकी बहुत ख्वाहिशें हैं, इच्छाएँ हैं, जिसके मन में संतोष नहीं है वह दरिद्र है ।''*
श्रीकृष्ण : 'जिसकी बहुत ख्वाहिशें हैं, इच्छाएँ हैं, जिसके मन में संतोष नहीं है वह दरिद्र है ।''**
"कृपण कौन है ?"*
"कृपण कौन है ?"**
"जिसकी इंद्रियाँ वश में नहीं हैं... इधर- उधर देखा, इधर-उधर का खाया, जैसा मन में आया किया तो वह कृपण है ।" किया हुआ निर्णय छोड़ें नहीं तो इंद्रियाँ संयमित होंगी ।*
"जिसकी इंद्रियाँ वश में नहीं हैं... इधर- उधर देखा, इधर-उधर का खाया, जैसा मन में आया किया तो वह कृपण है ।" किया हुआ निर्णय छोड़ें नहीं तो इंद्रियाँ संयमित होंगी ।**
"सच्चा मालिक कौन है ?"*
"सच्चा मालिक कौन है ?"**
"जो दुर्गुणों से तो दूर है पर सद्गुणों में भी आसक्त नहीं है वही सच्चा मालिक है ।"*
"जो दुर्गुणों से तो दूर है पर सद्गुणों में भी आसक्त नहीं है वही सच्चा मालिक है ।"**
गुरुवार विशेष
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गुरुवार विशेष
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हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*
हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।**
गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*
गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :**
एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।* *ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*
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फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*
फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।**
गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।*
गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।* *
गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।*
गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।*